मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बोले…’धीरेंद्र शास्त्री हजरत-ए-आदम की औलाद’
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- September 8, 2025
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बरेली। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बरेली में कथावाचक बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री पर विवादित बयान दिया है। मौलाना ने धीरेंद्र शास्त्री को हजरत-ए-आदम की संतान बताया है।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कहना है कि भारत पहले से हिंदू राष्ट्र है, जबकि धीरेंद्र शास्त्री कुछ अलग ही लह में बह रहे हैं। मौलाना ने कहा कि धीरेंद्र शास्त्री का कहना है कि भारत में नकली मुसलमान रहते हैं। विदेशों में असली मुसलमान हैं। नकली और असली की पहचान कैसे और किस तरह की, यह उन्हें बताना चाहिए।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि हकीकत यह है कि दुनिया में सबसे पहले इंसान हजरत-ए-आदम आए थे। दुनिया में चाहे किसी भी मजहब के मानने वाले लोग हों, वह हजरत-ए-आदम की औलाद हैं। धीरेंद्र शास्त्री भी हजरत-ए-आदम की औलाद हैं। हजरत-ए-आदम मुसलमान थे। अब उनकी औलादों को क्या कहेंगे और धीरेंद्र शास्त्री को क्या कहा जाएगा?
जो नकली होता है, वही करता है फर्क- मौलाना
शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि यह फर्क करना है कि असली और नकली कौन है। जो नकली होता है, वही फर्क करता है। वह शोर मचाकर ढोल बजाकर फर्क करता है। असली लोग खामोश रहते हैं। धीरेंद्र शास्त्री कैसे तय करते हैं कि असली और नकली कौन है। भारत में जितने भी मुसलमान हैं, वह शरीयत और इस्लाम के वसूलों पर सख्ती से अमल करते हैं। विदेश के मुसलमान इतनी शरीयत की पाबंदी नहीं करते हैं। यह बात धीरेंद्र शात्री को चुभती है और उनके दिलो-दिमाग को खटकती है।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि हकीकत यह है कि दुनिया में सबसे पहले इंसान हजरत-ए-आदम आए थे। दुनिया में चाहे किसी भी मजहब के मानने वाले लोग हों, वह हजरत-ए-आदम की औलाद हैं। धीरेंद्र शास्त्री भी हजरत-ए-आदम की औलाद हैं। हजरत-ए-आदम मुसलमान थे। अब उनकी औलादों को क्या कहेंगे और धीरेंद्र शास्त्री को क्या कहा जाएगा?
जो नकली होता है, वही करता है फर्क- मौलाना
शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि यह फर्क करना है कि असली और नकली कौन है। जो नकली होता है, वही फर्क करता है। वह शोर मचाकर ढोल बजाकर फर्क करता है। असली लोग खामोश रहते हैं। धीरेंद्र शास्त्री कैसे तय करते हैं कि असली और नकली कौन है। भारत में जितने भी मुसलमान हैं, वह शरीयत और इस्लाम के वसूलों पर सख्ती से अमल करते हैं। विदेश के मुसलमान इतनी शरीयत की पाबंदी नहीं करते हैं। यह बात धीरेंद्र शात्री को चुभती है और उनके दिलो-दिमाग को खटकती है।