दिवाली से पहले कर्मचारियों को खुशखबरी, ईपीएफ से पैसा निकालना हुआ आसान, नियमों में बदलाव
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- October 14, 2025
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नई दिल्ली। दिवाली से पहले देश के करोड़ों कर्मचारियों को श्रम मंत्रालय की ओर से सोमवार को खुशखबरी दी गई है। श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में ईपीएफओ की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने अपनी बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने सोमवार को कई बड़े फैसलों का एलान किया। ईपीएफओ के बोर्ड ने अपने सात करोड़ से अधिक अंशधारकों के लिए आंशिक निकासी की उदार व्यवस्था को मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब सदस्य ईपीएफ खाते से 100 प्रतिशत तक की निकासी कर सकेंगे।
श्रम मंत्री की अध्यक्षता में बैठक
कर्मचारियों के हित में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कई बड़े फैसले लिए हैं। इनसे पीएफ निकासी, ब्याज, और डिजिटल सेवाओं में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा श्रम मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, “श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में ईपीएफओ की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने अपनी बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।”
13 जटिल प्रावधानों का एक आसान नियम में विलय
सीबीटी ने ईपीएफ के सदस्यों के जीवन को आसान बनाने के लिए 13 जटिल प्रावधानों को एक ही नियम में विलय करने का फैसला लिया। इसके तहत ईपीएफ योजना के आंशिक निकासी प्रावधानों को सरल बनाया गया है। निकासी के लिए खर्च को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है यानी जरूरी (बीमारी, शिक्षा, विवाह), घर की जरूरत और विशेष परिस्थितियां।
आंशिक निकासी के लिए अब सिर्फ 12 महीने की सेवा जरूरी
अब सदस्य भविष्य निधि में कर्मचारी और नियोक्ता के हिस्से सहित पात्र शेष राशि का 100 प्रतिशत तक निकाल सकेंगे। निकासी की सीमा को उदार बनाया गया है। शिक्षा के लिए 10 बार तक और विवाह के लिए 5 बार तक निकासी की अनुमति दी गई है। सभी आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा की आवश्यकता को भी घटाकर केवल 12 महीने कर दिया गया है। ईपीएफओ ने यह भी बताया है कि पेंडिंग मामलों और भारी जुर्मानों को घटाने के लिए पेंशन निकाय ने ‘विश्वास योजना’ शुरू की है। वर्तमान में ₹2,406 करोड़ की जुर्माना राशि और 6,000 से अधिक मुकदमे लंबित हैं। अब पीएफ जमा में देरी पर जुर्माना घटाकर 1% प्रति माह किया गया है।
श्रम मंत्री की अध्यक्षता में बैठक
कर्मचारियों के हित में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कई बड़े फैसले लिए हैं। इनसे पीएफ निकासी, ब्याज, और डिजिटल सेवाओं में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा श्रम मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, “श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में ईपीएफओ की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने अपनी बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए।”
13 जटिल प्रावधानों का एक आसान नियम में विलय
सीबीटी ने ईपीएफ के सदस्यों के जीवन को आसान बनाने के लिए 13 जटिल प्रावधानों को एक ही नियम में विलय करने का फैसला लिया। इसके तहत ईपीएफ योजना के आंशिक निकासी प्रावधानों को सरल बनाया गया है। निकासी के लिए खर्च को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है यानी जरूरी (बीमारी, शिक्षा, विवाह), घर की जरूरत और विशेष परिस्थितियां।
आंशिक निकासी के लिए अब सिर्फ 12 महीने की सेवा जरूरी
अब सदस्य भविष्य निधि में कर्मचारी और नियोक्ता के हिस्से सहित पात्र शेष राशि का 100 प्रतिशत तक निकाल सकेंगे। निकासी की सीमा को उदार बनाया गया है। शिक्षा के लिए 10 बार तक और विवाह के लिए 5 बार तक निकासी की अनुमति दी गई है। सभी आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा की आवश्यकता को भी घटाकर केवल 12 महीने कर दिया गया है। ईपीएफओ ने यह भी बताया है कि पेंडिंग मामलों और भारी जुर्मानों को घटाने के लिए पेंशन निकाय ने ‘विश्वास योजना’ शुरू की है। वर्तमान में ₹2,406 करोड़ की जुर्माना राशि और 6,000 से अधिक मुकदमे लंबित हैं। अब पीएफ जमा में देरी पर जुर्माना घटाकर 1% प्रति माह किया गया है।
