मैसूरु दशहरा उत्सव का उद्घाटन बानू मुश्ताक ही करेंगी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

 मैसूरु दशहरा उत्सव का उद्घाटन बानू मुश्ताक ही करेंगी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
नई दिल्ली। आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। जिसमें मैसूर के दशहरा उत्सव के उद्घाटन समारोह में बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के राज्य सरकार के फैसले को मंजूरी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस वर्ष मैसूरु दशहरा के उद्घाटन के लिए बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के कर्नाटक सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना था कि गैर-हिंदू को परंपरागत पूजा-अर्चना का अधिकार देना अनुचित है। बता दें कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने पहले ही इस मामले को खारिज कर दिया था।
सप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि दशहरा 22 सितंबर से शुरू हो रहा है, इसलिए मामले की तुरंत सुनवाई जरूरी है। उनका तर्क है कि एक गैर-हिंदू द्वारा अग्रेश्वरी पूजा करना धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की थी।
दलील सुनते ही खारिज कर दी याचिका
शुक्रवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद मामले को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पीबी सुरेश ने दलील दी कि किसी गैर-हिंदू व्यक्ति को पूजा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस पर न्यायमूर्ति नाथ ने फैसला सुनाया…’खारिज’।
इसके बाद सुरेश ने दलील दी कि मंदिर के अंदर पूजा करना धर्मनिरपेक्ष कृत्य नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा, यह पूरी तरह से राजनीतिक है… कोई कारण नहीं कि उन्हें धार्मिक गतिविधि के लिए मंदिर के अंदर लाया जाए। उनकी दलील पर न्यायमूर्ति नाथ ने फिर दोहराया…’बर्खास्त’। वरिष्ठ वकील ने बिना किसी हिचकिचाहट के आगे आरोप लगाया कि आमंत्रित व्यक्ति ने अतीत में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं।