निष्क्रिय बैंक अकांउट को लेकर आरबीआई ने जारी किए नए दिशा—निर्देश, जाने पूरी गाइडलाइन

 निष्क्रिय बैंक अकांउट को लेकर आरबीआई ने जारी किए नए दिशा—निर्देश, जाने पूरी गाइडलाइन

नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक यानी आरबीआई ने 10 साल से अधिक समय से निष्क्रिय बचत और चालू खातों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आरबीआई के नए निर्देश उन करोड़ों खाताधारकों के लिए राहत की बात है। जिन्होंने लंबे समय से अपने बैंक खातों का उपयोग नहीं किया है। आरबीआई का यह निर्णय ग्राहक हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है ताकि लोगों को अपने पैसे वापस पाने में आसानी हो सके। इन नए नियमों से बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्राहकों का विश्वास मजबूत होगा।

नए नियमों के अनुसार अब ऐसे खातों को फिर से सक्रिय करने के लिए बैंकों को केवाईसी अपडेट की सुविधा प्रदान करनी होगी। यह प्रक्रिया पहले की तुलना में काफी सरल और सुविधाजनक बनाई गई है। आरबीआई ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि कोई भी व्यक्ति अपने निष्क्रिय खाते के कारण अपने पैसे से वंचित न रह जाए। यह व्यवस्था विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो किसी कारणवश लंबे समय तक अपने खाते का उपयोग नहीं कर सके।
केवाईसी अपडेट की प्रक्रिया
आरबीआई के नए दिशा-निर्देशों में केवाईसी अपडेट के लिए वीडियो आइडेंटिफिकेशन प्रोसेस को भी शामिल किया गया है। यह तकनीकी सुधार इस बात को दर्शाता है कि केंद्रीय बैंक डिजिटल युग की आवश्यकताओं के अनुकूल अपनी नीतियों को अपडेट कर रहा है। वीडियो केवाईसी की सुविधा से ग्राहकों को बार-बार बैंक की शाखा में जाने की आवश्यकता नहीं होगी। यह प्रक्रिया न केवल समय की बचत करेगी बल्कि ग्राहकों के लिए अधिक सुविधाजनक भी होगी।
इसके अतिरिक्त बैंकों को निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के लिए रजिस्टर्ड बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट की सेवाओं का उपयोग करने की भी अनुमति दी गई है। यह व्यवस्था विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट के माध्यम से ग्राहक अपने घर के नजदीक ही केवाईसी अपडेट करा सकेंगे। यह सुविधा बैंकिंग सेवाओं को और भी पहुंचयोग्य बनाएगी और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देगी।
निष्क्रिय खाते की परिभाषा और मापदंड
बैंकिंग नियमों के अनुसार कोई भी बैंक खाता जिसमें पिछले 10 वर्षों से कोई लेन-देन नहीं हुआ हो, उसे निष्क्रिय या इनऑपरेटिव खाता माना जाता है। इसमें न तो कोई जमा किया गया हो और न ही कोई निकासी की गई हो। यदि खाते में कोई शेष राशि है और उसे 10 साल तक क्लेम नहीं किया गया हो तो उसे ‘अनक्लेम्ड डिपॉजिट’ कहा जाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब खाताधारक लंबे समय तक अपने खाते का उपयोग नहीं करता या किसी कारणवश खाते के बारे में भूल जाता है।
ऐसी स्थितियां कई कारणों से हो सकती हैं जैसे कि खाताधारक का निधन हो जाना, दूसरे शहर में स्थानांतरण, या फिर खाते के बारे में भूल जाना। कभी-कभी लोग नई नौकरी या व्यापार के लिए नए शहर में चले जाते हैं और पुराने खाते को बंद करना भूल जाते हैं। कुछ मामलों में खाताधारक के परिवारजनों को भी इन खातों के बारे में जानकारी नहीं होती। इन सभी स्थितियों में आरबीआई के नए नियम बेहद उपयोगी साबित होंगे।
डिपॉजिट एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड की भूमिका
वर्तमान नियमों के अनुसार बैंकों को सभी निष्क्रिय खातों की शेष राशि को डिपॉजिट एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में स्थानांतरित करना होता है। यह फंड आरबीआई के तत्वावधान में संचालित होता है और इसका मुख्य उद्देश्य जमाकर्ताओं के हितों को बढ़ावा देना है। डीईए फंड का उपयोग वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों, जमाकर्ताओं की सुरक्षा और जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि निष्क्रिय खातों का पैसा व्यर्थ न जाए बल्कि जनहित में उपयोग हो।
हालांकि पैसा इस फंड में चला जाता है, लेकिन यह खाताधारकों की संपत्ति ही रहती है। जब भी कोई व्यक्ति अपने निष्क्रिय खाते का दावा करता है तो बैंक उसे वापस कर देता है। डीईए फंड से मिलने वाला ब्याज भी खाताधारक को दिया जाता है। यह व्यवस्था पारदर्शी है और खाताधारकों के अधिकारों की सुरक्षा करती है। आरबीआई नियमित रूप से इस फंड की समीक्षा करता है और इसके उपयोग की जानकारी सार्वजनिक करता है।
ग्राहकों के लिए नए नियमों के फायदे
आरबीआई के नए नियमों से ग्राहकों को कई फायदे होंगे। सबसे बड़ा लाभ यह है कि अब निष्क्रिय खातों को सक्रिय करना पहले से कहीं आसान हो गया है। वीडियो केवाईसी की सुविधा से ग्राहकों को शाखा में बार-बार जाने की जरूरत नहीं होगी। यह विशेष रूप से बुजुर्गों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बेहद सुविधाजनक है। डिजिटल प्रक्रिया से समय की भी बचत होगी और कागजी कार्रवाई कम हो जाएगी।
बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट की सेवाओं का विस्तार ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। अब छोटे शहरों और गांवों में रहने वाले लोगों को बड़े शहरों की बैंक शाखाओं में जाने की आवश्यकता नहीं होगी। यह व्यवस्था वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देगी और अधिक लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ेगी। साथ ही यह सुनिश्चित करेगी कि दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी अपने निष्क्रिय खातों का लाभ उठा सकें।