यूटयूबर ज्योति ने डायरी में लिखी मन की बात, तीन पेज में पाकिस्तान की यात्रा का जिक्र

 यूटयूबर ज्योति ने डायरी में लिखी मन की बात, तीन पेज में पाकिस्तान की यात्रा का जिक्र
Political trust-दिल्ली
 ज्योति मल्होत्रा के घर से उसकी डायरी मिली है। जिसमें ज्योति ने अपने संस्मरण और मन की बात लिखी है। इससे पता चलता है कि वह किसी भी जगह जाने से पहले पूरा होमवर्क करती थी। देश-विदेश से संबंधित सभी तरह की जानकारी अपनी डायरी में नोट करके रखती थी। इस डायरी के करीब 10 पन्नों पर इसी तरह के नोट्स बनाए गए हैं। तीन पेजों पर पाकिस्तान यात्रा का जिक्र है। आठ पेजों पर अंग्रेजी में लिखा है, जबकि पाकिस्तान के बारे में तीनों पेज पर हिंदी में लिखा है।
साल 2012 के कैलेंडर को दर्शाती इस डायरी के पीले रंग के पन्नों पर ज्योति ने मन की भावनाएं भी उकेरी हैं। यात्रा के दौरान जो सूचनाएं जुटाईं, यात्रा पर जाने से लेकर आने तक, जो भी अनुभव रहे, उन्हें इस डायरी में साझा किया है।
महाभारत, रामायण, ब्राह्मण, क्षत्रिय, ईसवीं, रजिया सुल्तान, कुतुबमीनार जैसे शब्द हैं। वहीं विदेशों के बारे में ऐसी जानकारी है, जिसमें तकनीकी शब्द प्रयोग किए गए हैं। कुछ पन्नों पर यात्रा खर्च का भी जिक्र है।
हम सब एक ही धरती, एक ही मिट्टी के हैं…
ज्योति ने पाकिस्तान को लेकर लिखा है… पाकिस्तान से 10 दिन का सफर तय करके आज आ गई हूं अपने देश इंडिया/भारत। इस दौरान पाकिस्तान की आवाम से काफी महोब्बत मिली। हमारे सबस्क्राइबर, फ्रेंडस भी हमसे मिलने आए। लाहौर घूमने के लिए मिला दो दिन का वक्त काफी कम था।
सरहदों की दूरियां पता नहीं कब तक बरकरार रहेंगी पर दिलों में जो गिले शिकवे हैं वो मिट जाएं। हम सब एक ही धरती, एक ही मिट्टी के हैं। अगर ऐसा कुछ हो जिसको वीडियो में शेयर न किया हो तो आप बेझिझक कमेंट में पूछ सकते हैं। अब दीजिए इजाजत पाकिस्तान की सरहद यहीं तक थी।
ज्योति ने लिखा, रिक्वेस्ट है कि पाकिस्तान गवर्नमेंट इंडियंस के लिए और भी गुरुद्वारे और मंदिरों के रास्ते खोले, सहूलियत पैदा करे कि हिंदू लोग भी वहां विजिट कर पाएं। वहां के मंदिरों को भी प्रोटेक्ट करें और अपनी फैमिली जो 1947 के समय बिछड़ गई थी उनसे मिल पाएं। पाकिस्तान की बस के बारे में जितना कहो उतना कम। क्रेजी एंड कलरफुल।
ज्योति मल्होत्रा का परिवार भारत-पाक बंटवारे में पाकिस्तान से संयुक्त पंजाब के फरीदकोट में आकर बसा था। यहां पांच महीने किराए के मकान में रहने के बाद परिवार हिसार आ गया था। ज्योति के दादा और ताऊ-चाचा हिसार में भी दो जगह किराए पर रहे।