भारत में पेंशन सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम, वैश्विक विशेषज्ञों और विश्व बैंक की भागीदारी से सम्मेलन का भव्य समापन

 भारत में पेंशन सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम, वैश्विक विशेषज्ञों और विश्व बैंक की भागीदारी से सम्मेलन का भव्य समापन

Report by: Nimmi Thakur

नई दिल्ली, 5 अप्रैल 2025: भारत में पेंशन प्रणाली को और अधिक समावेशी, प्रभावी और भविष्योन्मुखी बनाने के उद्देश्य से आयोजित पहला अंतर्राष्ट्रीय पेंशन अनुसंधान सम्मेलन (आईआरसीपी) 2025 नई दिल्ली के भारत मंडपम में दो दिवसीय सफल आयोजन के बाद कल भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस महत्वपूर्ण आयोजन की शुरुआत 3 अप्रैल को वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी के प्रेरणादायक उद्घाटन भाषण से हुई।

इस सम्मेलन का आयोजन पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) द्वारा भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (IIMA) के सहयोग से किया गया। इसमें विश्व बैंक सहित कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नीति निर्माताओं, विद्वानों, पेंशन विशेषज्ञों, शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


पेंशन सुधार: जनसांख्यिकीय बदलावों के अनुरूप नीतिगत रणनीति की आवश्यकता

अपने उद्घाटन भाषण में वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने भारत में वृद्ध होती आबादी की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि “2050 तक हर पांचवां भारतीय 60 वर्ष से अधिक आयु का होगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि वृद्धजन की वित्तीय सुरक्षा केवल सामाजिक दायित्व नहीं बल्कि राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए। “सभी के लिए पेंशन” के विचार को उन्होंने नीतिगत रूप से सशक्त बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।


सशक्त पेंशन प्रणाली: सरकार का दृष्टिकोण

वित्तीय सेवा विभाग के सचिव श्री नागराजू मद्दिराला ने भारत की पेंशन प्रणाली में हो रहे परिवर्तन को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) और अटल पेंशन योजना (एपीवाई) जैसे कार्यक्रमों से भारत एक मजबूत वृद्धावस्था आय सुरक्षा प्रणाली की ओर अग्रसर है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की पेंशन संपत्ति अभी जीडीपी के 17% पर है, जो ओईसीडी देशों की तुलना में काफी कम है, जिससे सुधार की अपार संभावनाएं दिखाई देती हैं।


ग्लोबल भागीदारी और विशेषज्ञ चर्चा: सम्मेलन की विशेषताएँ

आईआरसीपी 2025 के दौरान कुल पाँच पैनल चर्चाएँ और एक शोधपत्र प्रस्तुति श्रृंखला आयोजित की गई।

प्रमुख सत्रों की झलकियाँ:

  • भविष्य के लिए पेंशन: वृद्धावस्था में वित्तीय सुरक्षा, गिग इकॉनमी के श्रमिकों की भागीदारी, और अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों पर विचार।
  • नवीन निवेश रणनीतियाँ: वैनगार्ड, हांगकांग एमपीएफएसए, विश्व बैंक जैसे वैश्विक विशेषज्ञों ने पेंशन निवेश की नवीनतम पद्धतियों पर अपने विचार रखे।
  • विनियामक समन्वय: सेबी, ईपीएफओ, आईआरडीएआई, और पीएफआरडीए के प्रतिनिधियों ने भारत में पेंशन उत्पादों के विकास के लिए नीतिगत सुसंगति पर चर्चा की।
  • वित्तीय साक्षरता: आईआईएम, एमडीआई, और अन्य शीर्ष संस्थानों के विशेषज्ञों ने पेंशन साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डाला।
  • पेंशन फंड निवेश और जोखिम प्रबंधन: दीर्घकालिक दायित्वों और जोखिम-प्रतिफल संतुलन को बनाए रखने की रणनीतियाँ।

भारत की पेंशन नीति को वैश्विक मानकों पर ले जाने की प्रतिबद्धता

पीएफआरडीए अध्यक्ष डॉ. दीपक मोहंती ने बताया कि एनपीएस और एपीवाई के 8.4 करोड़ से अधिक ग्राहकों और ₹14.4 लाख करोड़ से अधिक की परिसंपत्तियों के साथ, भारत की पेंशन प्रणाली अब स्थायित्व और विस्तार के एक नए युग में प्रवेश कर चुकी है।

उन्होंने यह भी कहा कि अब समय है कि पेंशन को केवल वेतनभोगियों तक सीमित न रखते हुए अनौपचारिक और असंगठित क्षेत्रों तक पहुंचाया जाए। यह भारत को एक वास्तव में पेंशन-समावेशी समाज की ओर अग्रसर करेगा।


सम्मेलन का समापन और सम्मान समारोह

दूसरे दिन की समाप्ति पर आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। इनमें श्री राजन राजू (इनवेस्पर प्रा. लि.), श्री रवि सरावगी (समस्तीति एडवाइजर्स), सुश्री पंखुड़ी सिन्हा और श्री लोकानंद रेड्डी इराला (हैदराबाद विश्वविद्यालय) प्रमुख रहे।

पीएफआरडीए की कार्यकारी निदेशक सुश्री सुमीत कौर कपूर ने सम्मेलन के दौरान प्राप्त ज्ञान और नीतिगत सुझावों का सार प्रस्तुत किया और श्री पी. अरुमुगरंगराजन (मुख्य महाप्रबंधक, पीएफआरडीए) ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।


 समावेशी, सशक्त और आत्मनिर्भर वृद्धावस्था की ओर भारत का कदम

आईआरसीपी 2025 न केवल एक सम्मेलन था, बल्कि भारत की सामाजिक सुरक्षा संरचना को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ। यह आयोजन दर्शाता है कि भारत अपनी वृद्ध होती आबादी को गरिमापूर्ण, सुरक्षित और आत्मनिर्भर भविष्य देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।