देश में बदलने जा रहा है टैक्स जांच का तरीका, 1 अप्रैल 2026 से होगा लागू
नई दिल्ली। भारत में टैक्स जांच का तरीका जल्द ही पूरी तरह बदलने वाला है। 1 अप्रैल 2026 से लागू होने वाले प्रस्तावित इनकम टैक्स बिल 2025 के तहत आयकर विभाग डिजिटल दुनिया में भी जांच कर सकेगा। इसका मतलब है कि अब सिर्फ घर, ऑफिस या लॉकर ही नहीं, बल्कि बैंक अकाउंट, ईमेल, सोशल मीडिया और ऑनलाइन निवेश प्लेटफॉर्म भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। सरकार इसे डिजिटल युग की जरूरत बता रही है, जबकि आम करदाताओं के मन में इसे लेकर कई सवाल भी हैं।
क्या है नया इनकम टैक्स प्रावधान
अभी तक आयकर विभाग को इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 132 के तहत तलाशी और जब्ती का अधिकार है. इसके अंतर्गत नकद, गहने, दस्तावेज या अन्य भौतिक संपत्तियों की जांच की जाती है। लेकिन नया इनकम टैक्स बिल 2025 इस व्यवस्था को डिजिटल रूप देने जा रहा है। इसमें ‘वर्चुअल डिजिटल स्पेस’ को भी तलाशी के दायरे में शामिल किया गया है।
किन डिजिटल प्लेटफॉर्म तक मिलेगी पहुंच
नए कानून के तहत आयकर अधिकारी ईमेल अकाउंट, सोशल मीडिया प्रोफाइल, क्लाउड स्टोरेज, ऑनलाइन बैंकिंग, डिजिटल वॉलेट, क्रिप्टो और शेयर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जैसे डिजिटल माध्यमों की जांच कर सकेंगे। आसान शब्दों में कहें तो अब अलमारी और लॉकर के साथ-साथ इनबॉक्स और डिजिटल डैशबोर्ड भी जांचे जा सकेंगे।
सरकार का तर्क है कि आज ज्यादातर लेनदेन ऑनलाइन हो चुके हैं। काले धन, विदेशी निवेश, क्रिप्टो एसेट और ऑनलाइन बिजनेस से जुड़ी कई जानकारियां डिजिटल रूप में ही मौजूद रहती हैं। ऐसे में सिर्फ भौतिक तलाशी से टैक्स चोरी पकड़ना मुश्किल हो गया है. डिजिटल जांच से सरकार टैक्स चोरी के नए तरीकों पर लगाम लगाना चाहती है।
अधिकारी बिना वजह अकाउंट देख सकेंगे
इस सवाल का जवाब है- नहीं। नया कानून अधिकारियों को मनमानी छूट नहीं देता। किसी भी डिजिटल जांच के लिए ‘वाजिब कारण’ होना जरूरी होगा। जैसे भौतिक तलाशी में संदेह का आधार दर्ज किया जाता है, वैसे ही डिजिटल तलाशी के लिए भी कारण लिखित रूप में दर्ज करना होगा। यानी हर किसी के अकाउंट यूं ही नहीं खोले जाएंगे।
