केरल हाईकोर्ट से मलयालम फिल्म को हरी झंडी, ‘हाल’ की रिलीज का रास्ता साफ
- दिल्ली बॉलीवुड राष्ट्रीय
Political Trust
- December 13, 2025
- 0
- 43
- 1 minute read
नई दिल्ली। मलयालम फिल्म ‘हाल’ को लेकर पिछले काफी समय से विवाद चल रहा था लेकिन अब केरल हाईकोर्ट की तरफ से इसकी रिलीज का रास्ता साफ हो गया है।
मलयालम सिनेमा की चर्चित फिल्म ‘हाल’ को आखिरकार केरल हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। लंबे समय से कानूनी विवादों में घिरी इस फिल्म के खिलाफ दाखिल अपीलों को खारिज करते हुए अदालत ने इसकी रिलीज का रास्ता साफ कर दिया है। डिवीजन बेंच ने इससे पहले आए सिंगल जज के फैसले को बरकरार रखते हुए साफ किया कि फिल्म को लेकर लगाए गए कई आपत्तियां जरूरी नहीं थीं।
क्या था मामला?
दरअसल, ‘हाल’ की रिलीज से पहले कुछ संगठनों और केंद्र सरकार की ओर से सर्टिफिकेशन को लेकर आपत्ति जताई गई थी। फिल्म के कंटेंट पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और अंतरधार्मिक संबंधों को गलत तरीके से पेश करने के आरोप लगाए गए। खास तौर पर यह कहा गया कि फिल्म में जबरन धर्म परिवर्तन जैसे संकेत दिए गए हैं और एक बिशप के किरदार को ऐसे दिखाया गया है, जो उनके सार्वजनिक बयानों से मेल नहीं खाता।
सीबीएफसी ने की थी सीन हटाने की सिफारिश
विवाद बढ़ने के बाद केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की रिवाइजिंग कमेटी ने फिल्म की समीक्षा की और कुछ सीन को हटाने की सिफारिश की। इनमें बीफ बिरयानी से जुड़े सीन, पुलिस पूछताछ के कुछ सीन और धार्मिक संस्थान से जुड़े नामों को धुंधला करने जैसी शर्तें शामिल थीं। इसके बाद फिल्म को ए सर्टिफिकेट दिया गया, लेकिन मेकर्स ने इन कट्स को लेकर कोर्ट का रुख किया।
सुनवाई के दौरान अदालत ने न सिर्फ सभी पक्षों की दलीलें सुनीं, बल्कि खुद फिल्म देखकर यह भी परखा कि क्या वाकई सभी कट्स जरूरी हैं। सिंगल जज की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि सुझाए गए छह कट्स में से चार अनावश्यक हैं। इनमें एक महिला का बुर्का पहनकर नाचने वाला सीन, बिशप के आवास के दृश्य, कुछ पुलिस सीन और एक ईसाई संस्थान के नाम को ब्लर करने का निर्देश शामिल था।
क्या था मामला?
दरअसल, ‘हाल’ की रिलीज से पहले कुछ संगठनों और केंद्र सरकार की ओर से सर्टिफिकेशन को लेकर आपत्ति जताई गई थी। फिल्म के कंटेंट पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और अंतरधार्मिक संबंधों को गलत तरीके से पेश करने के आरोप लगाए गए। खास तौर पर यह कहा गया कि फिल्म में जबरन धर्म परिवर्तन जैसे संकेत दिए गए हैं और एक बिशप के किरदार को ऐसे दिखाया गया है, जो उनके सार्वजनिक बयानों से मेल नहीं खाता।
सीबीएफसी ने की थी सीन हटाने की सिफारिश
विवाद बढ़ने के बाद केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की रिवाइजिंग कमेटी ने फिल्म की समीक्षा की और कुछ सीन को हटाने की सिफारिश की। इनमें बीफ बिरयानी से जुड़े सीन, पुलिस पूछताछ के कुछ सीन और धार्मिक संस्थान से जुड़े नामों को धुंधला करने जैसी शर्तें शामिल थीं। इसके बाद फिल्म को ए सर्टिफिकेट दिया गया, लेकिन मेकर्स ने इन कट्स को लेकर कोर्ट का रुख किया।
सुनवाई के दौरान अदालत ने न सिर्फ सभी पक्षों की दलीलें सुनीं, बल्कि खुद फिल्म देखकर यह भी परखा कि क्या वाकई सभी कट्स जरूरी हैं। सिंगल जज की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि सुझाए गए छह कट्स में से चार अनावश्यक हैं। इनमें एक महिला का बुर्का पहनकर नाचने वाला सीन, बिशप के आवास के दृश्य, कुछ पुलिस सीन और एक ईसाई संस्थान के नाम को ब्लर करने का निर्देश शामिल था।
