पुतिन के दौरे से भारत–रूस रक्षा साझेदारी का नया अध्याय शुरू

 पुतिन के दौरे से भारत–रूस रक्षा साझेदारी का नया अध्याय शुरू
नई दिल्ली। भारत और रूस के संबंध केवल राजनयिक दस्तावेजों में दर्ज कोई औपचारिक साझेदारी नहीं, बल्कि दशकों पुराने भरोसे, सहकार और सामरिक संतुलन पर आधारित वह रिश्ता है जिसने समय, वैश्विक राजनीति और भू-रणनीतिक उतार-चढ़ाव की हर परीक्षा को सफलतापूर्वक पार किया है।
शीत युद्ध के काल से लेकर 21वीं सदी के उभरते बहुध्रुवीय विश्व तक, भारत-रूस संबंधों ने यह सिद्ध किया है कि वास्तविक रणनीतिक साझेदार वही होते हैं जो कठिन परिस्थितियों में भी एक-दूसरे के लिए स्थिरता के स्तंभ बने रहें। यही कारण है कि दोनों देशों ने वर्ष 2010 में अपनी साझेदारी को “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” का दर्जा दिया।
एक ऐसा दर्जा जो भारत के किसी और देश के साथ नहीं है। आगामी 23 वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन इसी अद्वितीय संबंध की निरंतरता और नवऊर्जा का प्रतीक है। यह वह क्षण है जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति महामहिम व्लादिमीर पुतिन ने साक्षात मिलकर सहयोग के हर आयाम की समीक्षा की और बदलते वैश्विक परिदृश्य में साझेदारी की नई दिशा निर्धारित की।
रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा एक नया मोड़
भारत और रूस के बीच संबंधों की कहानी केवल कूटनीति या व्यापार का अध्याय नहीं, बल्कि विश्वास, निरंतरता और रणनीतिक दूर दृष्टि की एक अनूठी गाथा है। बदलते वैश्विक समीकरणों, महाशक्तियों के बीच तनाव और क्षेत्रीय अस्थिरताओं के बावजूद यह साझेदारी समय की कसौटी पर खरी उतरी है। 2025 का वर्ष इस संबंध का नया स्वर्ण अध्याय लेकर आया है, जिसमें रक्षा सहयोग सबसे मजबूत स्तंभ के रूप में उभर रहा है।