रुपया निचले स्तर पर: डॉलर की मांग बढ़ने से दबाव बढ़ा

 रुपया निचले स्तर पर: डॉलर की मांग बढ़ने से दबाव बढ़ा
नई दिल्ली। रुपया 89.79 प्रति डॉलर के नए निचले स्तर पर आ गया है। इसकी वजह गैर-डिलिवरी वाली फॉरवर्ड पोजीशन का परिपक्व होना और आयातकों की ओर से डॉलर की मजबूत मांग थी। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता न होने से भी बाजार की धारणा कमज़ोर हो रही है।
डीलरों ने बताया कि कारोबार के अंत तक स्थानीय मुद्रा में कुछ मजबूती आई जो संभवतः भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की बिकवाली के जरिये हस्तक्षेप के कारण हुई। यह 89.56 प्रति डॉलर पर बंद हुआ जबकि पिछली बार यह 89.46 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। चालू वित्त वर्ष में रुपये में अब तक 4.56 फीसदी की गिरावट आई है जबकि चालू कैलेंडर वर्ष में इसमें 4.4 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है।
संभवतः आरबीआई ने स्थिति को थोड़ा शांत करने के लिए इन उच्चस्तरों पर हस्तक्षेप किया होगा। कई कारकों ने डॉलर-रुपया विनिमय दर को नए शिखर पर पहुंचाया। इनमें एनडीएफ एक्सपायरी से संबंधित मांग की रिपोर्ट, आयातकों की मजबूत मांग और भारत-अमेरिका व्यापार तनाव को लेकर जारी अनिश्चितता शामिल है जो अक्सर व्यापक व्यापार युद्ध की कहानी में मुद्रा को शिकार बना देती है।
आगे की बात करें तो 90 का स्तर महत्त्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक स्तर है। उम्मीद हैं कि जैसे-जैसे दर उस सीमा के करीब पहुंचेगी, आरबीआई हस्तक्षेप जारी रखेगा। नीचे की ओर समर्थन 88.80 से 89 के आसपास है। जब तक हम 88.80 से नीचे निरंतर ट्रेड नहीं देखते, हम शीर्ष के बारे में कुछ नहीं कह सकते। अगर यह रुपया 90 से ऊपर जाता है तो अगला स्तर 91.5 प्रति डॉलर के आसपास देखने लायक होगा।