अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में 25 नवंबर को पीएम मोदी करेंगे ध्वजारोहण
- उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय हमारी संस्कृति
Political Trust
- October 29, 2025
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अयोध्या। रामनगरी और उससे संबंधित लगभग सभी निर्माण कार्य पूरे हो गए हैं। अब 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण करेंगे। राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन भी पीएम मोदी ने ही पांच अगस्त 2020 को किया था।
इसके बाद भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को की थी। अब जब पूरी तरह से मंदिर बनकर तैयार हो गया है, तो मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण भी पीएम मोदी ही करेंगे। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहेंगे।
नागर शैली में पत्थरों से बना है समूचा मंदिर
समूचा मंदिर पत्थरों का नागर शैली में बना है। इसका निर्माण अब पूरा हो चुका है। भूतल पर रामलला और प्रथम तल पर राम परिवार विराजित हैं। कलश और ध्वज दंड स्थापित हो चुके हैं। मंदिर के चारों ओर 800 मीटर आयताकार पत्थरों का परकोटा तैयार है। परकोटा 14 फीट चौड़ा है। इसके कोनों पर शिवलिंग, गणपति, सूर्य देव और मां भगवती विराजमान हैं।
दक्षिणी भुजा में हनुमान जी, उत्तरी भुजा में माता अन्नपूर्णा के मंदिर बने हैं। इन पर भी कलश और ध्वज दंड लग चुके हैं। इन मंदिरों में प्रतिमाओं की पूजा हो रही है। इनकी प्राण प्रतिष्ठा जून माह में हो गई थी। राम मंदिर के दक्षिणी और पश्चिमी कोने पर लक्ष्मण जी का मंदिर बनकर तैयार है। इसका नाम शेषावतार है।
तुलसीदास का भी मंदिर बनकर तैयार
सप्त मंडप यानी महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और माता अहिल्या के भी मंदिर बन चुके हैं। तुलसी दास जी का भी मंदिर बनकर तैयार है। सभी प्रतिमाएं स्थापित हो चुकी हैं। कुबेर टीला पर जटायू और अंगद टीला पर गिलहरी की स्थापना हो चुकी है।
श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के अनुसार, इसके अलावा तीर्थ यात्रियों की सुविधा और उनको अधिक से अधिक सुगमता हो, इसके लिए जितनी भी आवश्यक व्यवस्थाएं हैं, उनका भी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अधिक से अधिक भक्तों की भीड़ दर्शन कर पा रही है, यह व्यवस्था के कारण संभव हो पा रहा है।
नागर शैली में पत्थरों से बना है समूचा मंदिर
समूचा मंदिर पत्थरों का नागर शैली में बना है। इसका निर्माण अब पूरा हो चुका है। भूतल पर रामलला और प्रथम तल पर राम परिवार विराजित हैं। कलश और ध्वज दंड स्थापित हो चुके हैं। मंदिर के चारों ओर 800 मीटर आयताकार पत्थरों का परकोटा तैयार है। परकोटा 14 फीट चौड़ा है। इसके कोनों पर शिवलिंग, गणपति, सूर्य देव और मां भगवती विराजमान हैं।
दक्षिणी भुजा में हनुमान जी, उत्तरी भुजा में माता अन्नपूर्णा के मंदिर बने हैं। इन पर भी कलश और ध्वज दंड लग चुके हैं। इन मंदिरों में प्रतिमाओं की पूजा हो रही है। इनकी प्राण प्रतिष्ठा जून माह में हो गई थी। राम मंदिर के दक्षिणी और पश्चिमी कोने पर लक्ष्मण जी का मंदिर बनकर तैयार है। इसका नाम शेषावतार है।
तुलसीदास का भी मंदिर बनकर तैयार
सप्त मंडप यानी महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और माता अहिल्या के भी मंदिर बन चुके हैं। तुलसी दास जी का भी मंदिर बनकर तैयार है। सभी प्रतिमाएं स्थापित हो चुकी हैं। कुबेर टीला पर जटायू और अंगद टीला पर गिलहरी की स्थापना हो चुकी है।
श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के अनुसार, इसके अलावा तीर्थ यात्रियों की सुविधा और उनको अधिक से अधिक सुगमता हो, इसके लिए जितनी भी आवश्यक व्यवस्थाएं हैं, उनका भी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अधिक से अधिक भक्तों की भीड़ दर्शन कर पा रही है, यह व्यवस्था के कारण संभव हो पा रहा है।
