पीओके में आजादी की गूंज तेज, गांव-गांव फैली चिंगारी, पाकिस्तान के लिए चुनौती
कराची। पीओके में इस बार का आंदोलन पहले से कहीं ज्यादा व्यापक और संगठित हो गया है। सेना की बर्बरता, महंगाई और बिजली संकट के खिलाफ आजादी के नारों के साथ विरोध गांव-गांव तक फैल गया है। मुजफ्फराबाद से रावलकोट, कोटली, मीरपुर तक वकीलों, छात्रों, व्यापारियों और किसानों ने खुलकर प्रदर्शन किए हैं। झड़पों के चलते पाक सेना और सरकार की चिंता बढ़ गई है।
पीओके में इस बार का आंदोलन पहले से कहीं ज्यादा व्यापक, संगठित और प्रभावशाली हो गया है। पाकिस्तान सेना की बर्बरता, महंगाई, बिजली संकट व सियासी असंतोष से यह विरोध अब पीओके मांगे आजादी के नारों के साथ गांव-गांव तक फैल चुका है। राजधानी मुजफ्फराबाद से आगे बढ़कर रावलकोट, कोटली, मीरपुर और अन्य जिलों तक पहुंचे इस आंदोलन ने सेना व सरकार लिए हालात मुश्किल कर दिए हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार पहले के आंदोलन सिर्फ राजधानी तक सीमित होते थे। अब यह ढांचा टूट गया है। रावलकोट में वकीलों और शिक्षकों ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया। कोटली में युवाओं और छात्रों ने लंबा मार्च निकाला। मीरपुर के कस्बों में व्यापारी संगठनों ने बाजार बंद कराए। ग्रामीण किसानों, छोटे दुकानदारों ने भी धरने किए। कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हाल में झड़पें भी हुईं। इससे पाकिस्तानी सेना व सरकार के लिए चुनौती गहरा गई है।
आंदोलन में सक्रिय नेतृत्व की अहम भूमिका
स्वतंत्र पर्यवेक्षकों के मुताबिक, आंदोलन संगठित करने में तारीक हामिद चुघताई, लतीफ शाह और गुलाम मुर्तजा जैसे नेताओं की अहम भूमिका है। चुघताई लंबे समय से बिजली और संसाधनों के अधिकार की मांग उठाते रहे हैं। लतीफ शाह वकीलों के संगठन से जुड़े होने के कारण आंदोलन को कानूनी वैधता व सियासी तर्क प्रदान कर रहे हैं।
एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार पहले के आंदोलन सिर्फ राजधानी तक सीमित होते थे। अब यह ढांचा टूट गया है। रावलकोट में वकीलों और शिक्षकों ने बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया। कोटली में युवाओं और छात्रों ने लंबा मार्च निकाला। मीरपुर के कस्बों में व्यापारी संगठनों ने बाजार बंद कराए। ग्रामीण किसानों, छोटे दुकानदारों ने भी धरने किए। कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हाल में झड़पें भी हुईं। इससे पाकिस्तानी सेना व सरकार के लिए चुनौती गहरा गई है।
आंदोलन में सक्रिय नेतृत्व की अहम भूमिका
स्वतंत्र पर्यवेक्षकों के मुताबिक, आंदोलन संगठित करने में तारीक हामिद चुघताई, लतीफ शाह और गुलाम मुर्तजा जैसे नेताओं की अहम भूमिका है। चुघताई लंबे समय से बिजली और संसाधनों के अधिकार की मांग उठाते रहे हैं। लतीफ शाह वकीलों के संगठन से जुड़े होने के कारण आंदोलन को कानूनी वैधता व सियासी तर्क प्रदान कर रहे हैं।
