आज लग रहा साल का अंतिम चंद्रग्रहण, ग्रहण के दौरान तुलसी और कुशा का क्या है महत्व

 आज लग रहा साल का अंतिम चंद्रग्रहण, ग्रहण के दौरान तुलसी और कुशा का क्या है महत्व
नई दिल्ली। आज साल का अंतिम चंद्रग्रहण लग रहा है। ग्रहण के दौरान तुलसी और कुशा का विशेष महत्व बताया गया है।
शास्त्रों में कहा है कि ग्रहण के समय राहु का प्रभाव बढ़ जाता है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है। इस दौरान लोग खाने में तुलसी के पत्ते डालते हैं, लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण को एक अशुभ घटना माना गया है। इस साल को दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण आज 7 सितंबर को लगने जा रहा है। यह खगोलीय घटना रात 9.58 मिनट से शुरू होकर रात 1.26 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों में कहा गया है कि ग्रहण के समय राहु का प्रभाव बढ़ जाता है और नकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है। इस दौरान लोग खाने में तुलसी के पत्ते डालते हैं, लेकिन क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं। आइए जानते हैं कि ग्रहण के दौरान तुलसी और कुश का महत्व क्या है…
तुलसी का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल में तुलसी को अत्यंत शुभ माना जाता है। ग्रहण के दौरान दूध, जल और भगवान को अर्पित भोजन में तुलसी दल डालने से वह अशुद्ध नहीं होता और ग्रहण की नकारात्मकता का असर नहीं होता है। यही वजह है कि ग्रहण से पहले तुलसी का प्रयोग किया जाता है।
माना जाता है कि चंद्र ग्रहण शुरू होने से पहले घर में लगे तुलसी के पौधे को आंगन या घर के मध्य भाग में रख देना चाहिए। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं कर पाती और वातावरण में सकारात्मकता रहता है।
कुशा का महत्व
कुशा को भी शास्त्रों में अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि यह माता सीता के केशों से उत्पन्न हुई थी, वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार यह भगवान विष्णु के वामन अवतार के समय उनके गिरे हुए बालों से उत्पन्न हुई। इसीलिए ग्रहण काल में कुशा का प्रयोग फलदायी माना जाता है।
ग्रहण के समय भोजन और अन्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिए कुशा का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार ग्रहण दोष से बचाव के लिए पुरुष अपने कान के ऊपर कुशा का तिनका लगा सकते हैं और महिलाएं इसे अपनी चोटी में धारण कर सकती हैं। जिन जातकों की राशि पर ग्रहण का सीधा प्रभाव पड़ता है, उन्हें कुशा की पवित्री पहननी चाहिए।