सपा विधायक पूजा पाल का भाजपा में जाना तय, मिलेगा मंत्री पद
- उत्तर प्रदेश राजनीति राष्ट्रीय
Political Trust
- August 17, 2025
- 0
- 62
- 1 minute read

लखनऊ। पूर्व मुख्यमंत्री और सपा मुखिया अखिलेश यादव की उनकी पार्टी की विधायक पूजा पाल ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सपा प्रमुख की दरियादिली से राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बावजूद बची रहीं कौशाम्बी की चायल विधायक पूजा पाल अब सपा से बाहर कर दी गई हैं। विधानसभा सत्र के दौरान सपा नेतृत्व को खुली चुनौती देने के कुछ घंटों बाद ही उन्हें निष्कासित कर दिया गया।
अब चर्चा है कि बसपा, सपा के बाद पूजा किसी नई पार्टी का दामन थाम सकती हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पूजा पाल का भाजपा में जाना तय है और मंत्री पद के लिए भी उनका नाम दौड़ में शामिल है। सपा में रहते हुए विधायक पूजा पाल मंत्री नहीं बन सकती थीं। सपा मुखिया ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर मंत्री बनने का रास्ता साफ कर दिया हैं।
बता दें कि, पूजा पाल 2022 के विधानसभा चुनाव में चायल सीट से सपा के टिकट पर विधायक बनी थीं। उमेश पाल हत्याकांड के बाद पूजा का रुख बदलने लगा। वह भाजपा के करीब होने लगीं। उनके आचरण और बयानों को लेकर पार्टी में असंतोष बढ़ रहा था। लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने भाजपा का साथ दिया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, विधायक के आचरण की लगातार निगरानी की जा रही थी।
राज्यसभा चुनाव में सपा के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। अप्रैल 25 में विधायक मनोज पांडेय, अभय सिंह और राकेश सिंह को पार्टी से बाहर किया गया लेकिन पूजा पाल पर पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। उस समय पार्टी ने कहा था कि पूजा को सुधार का मौका दिया गया। लेकिन पर्दे की पीछे की बात यह थी कि पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक के फार्मूला पर राजनीति कर रहे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ऐसा कुछ नहीं करना चाहते थे कि पाल बिरादरी में कोई गलत संदेश चला जाए और भाजपा उसको भुना ले।
बता दें कि, पूजा पाल 2022 के विधानसभा चुनाव में चायल सीट से सपा के टिकट पर विधायक बनी थीं। उमेश पाल हत्याकांड के बाद पूजा का रुख बदलने लगा। वह भाजपा के करीब होने लगीं। उनके आचरण और बयानों को लेकर पार्टी में असंतोष बढ़ रहा था। लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने भाजपा का साथ दिया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, विधायक के आचरण की लगातार निगरानी की जा रही थी।
राज्यसभा चुनाव में सपा के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। अप्रैल 25 में विधायक मनोज पांडेय, अभय सिंह और राकेश सिंह को पार्टी से बाहर किया गया लेकिन पूजा पाल पर पार्टी ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। उस समय पार्टी ने कहा था कि पूजा को सुधार का मौका दिया गया। लेकिन पर्दे की पीछे की बात यह थी कि पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक के फार्मूला पर राजनीति कर रहे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ऐसा कुछ नहीं करना चाहते थे कि पाल बिरादरी में कोई गलत संदेश चला जाए और भाजपा उसको भुना ले।