अमेरिका टैरिफ से यूपी के निर्यात उद्योग पर संकट, फैक्ट्रियों से कर्मचारियों की छुट्टी शुरू
- उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय
Political Trust
- August 15, 2025
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लखनऊ। अमेरिका द्वारा भारतीय हस्तशिल्प और वस्त्र उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद उत्तर प्रदेश समेत देशभर के निर्यात उद्योग में गंभीर संकट गहराता जा रहा है। टैरिफ बढ़ोतरी के चलते कई निर्यात इकाइयों के ऑर्डर रुक गए हैं और पहले से तैयार माल को विदेशी खरीदारों ने होल्ड पर रख दिया है। इसके परिणामस्वरूप फैक्ट्रियों में उत्पादन रुकने लगा है और श्रमिकों की छंटनी शुरू हो गई है।.
ऑर्डर ठप, उत्पादन बंद — संकट में रोजगार
हस्तशिल्प और वस्त्र उद्योग के लिए यह फैसला भारी झटका साबित हो रहा है। जिन फैक्ट्रियों में पहले सैकड़ों कर्मचारी काम कर रहे थे, वहां अब बेरोजगारी की स्थिति बन रही है। निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका जैसे बड़े बाजार में टैरिफ की मार ने उनके लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल बना दिया है, जिससे ना केवल कारोबार प्रभावित हो रहा है, बल्कि हजारों परिवारों की आजीविका पर संकट आ खड़ा हुआ है।
ईपीसीएच और उद्योग संगठन पहुंचे सरकार के दरवाज़े
बुधवार को हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (EPCH), वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद और अन्य उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो लाखों रोजगार खतरे में पड़ सकते हैं।
गिरिराज सिंह ने दिया समाधान का भरोसा
बैठक में कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने टैरिफ संकट को गंभीर बताते हुए कहा कि सरकार अमेरिका से इस मुद्दे पर बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा, “यह समय है जब हमें अपनी रणनीति मजबूत करनी होगी। केवल अमेरिका पर निर्भर रहने की बजाय हमें अन्य वैश्विक बाजारों की ओर भी देखना होगा।”
वैकल्पिक बाजारों की तलाश जरूरी
गिरिराज सिंह ने बताया कि भारत को अब यूरोपीय संघ, पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका जैसे उभरते बाजारों में निर्यात को बढ़ावा देना चाहिए। इससे एकल बाजार पर निर्भरता घटेगी और निर्यातकों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।
सरकारी हस्तक्षेप के संकेत
सरकार ने संकेत दिया है कि वह नीतिगत हस्तक्षेप, प्रोत्साहन योजनाओं और रणनीतिक व्यापार वार्ताओं के जरिए इस संकट से निपटेगी। उद्देश्य यह है कि भारतीय हस्तशिल्प और वस्त्र उत्पादों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत उपस्थिति बनी रहे।
बैठक में शामिल प्रमुख अधिकारी
बैठक में वस्त्र राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा, वस्त्र सचिव नीलम शमी राव, व्यापार सलाहकार शुभ्रा, और संयुक्त सचिव अजय गुप्ता ने अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव पर प्रस्तुति दी। वहीं, ईपीसीएच महानिदेशक डॉ. राकेश कुमार, प्रशासनिक समिति सदस्य राजेश जैन, राजेंद्र गुप्ता और कार्यकारी निदेशक आरके वर्मा भी मौजूद रहे।
हस्तशिल्प और वस्त्र उद्योग के लिए यह फैसला भारी झटका साबित हो रहा है। जिन फैक्ट्रियों में पहले सैकड़ों कर्मचारी काम कर रहे थे, वहां अब बेरोजगारी की स्थिति बन रही है। निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका जैसे बड़े बाजार में टैरिफ की मार ने उनके लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल बना दिया है, जिससे ना केवल कारोबार प्रभावित हो रहा है, बल्कि हजारों परिवारों की आजीविका पर संकट आ खड़ा हुआ है।
ईपीसीएच और उद्योग संगठन पहुंचे सरकार के दरवाज़े
बुधवार को हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (EPCH), वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद और अन्य उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो लाखों रोजगार खतरे में पड़ सकते हैं।
गिरिराज सिंह ने दिया समाधान का भरोसा
बैठक में कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने टैरिफ संकट को गंभीर बताते हुए कहा कि सरकार अमेरिका से इस मुद्दे पर बातचीत कर रही है। उन्होंने कहा, “यह समय है जब हमें अपनी रणनीति मजबूत करनी होगी। केवल अमेरिका पर निर्भर रहने की बजाय हमें अन्य वैश्विक बाजारों की ओर भी देखना होगा।”
वैकल्पिक बाजारों की तलाश जरूरी
गिरिराज सिंह ने बताया कि भारत को अब यूरोपीय संघ, पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका जैसे उभरते बाजारों में निर्यात को बढ़ावा देना चाहिए। इससे एकल बाजार पर निर्भरता घटेगी और निर्यातकों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।
सरकारी हस्तक्षेप के संकेत
सरकार ने संकेत दिया है कि वह नीतिगत हस्तक्षेप, प्रोत्साहन योजनाओं और रणनीतिक व्यापार वार्ताओं के जरिए इस संकट से निपटेगी। उद्देश्य यह है कि भारतीय हस्तशिल्प और वस्त्र उत्पादों की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत उपस्थिति बनी रहे।
बैठक में शामिल प्रमुख अधिकारी
बैठक में वस्त्र राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा, वस्त्र सचिव नीलम शमी राव, व्यापार सलाहकार शुभ्रा, और संयुक्त सचिव अजय गुप्ता ने अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव पर प्रस्तुति दी। वहीं, ईपीसीएच महानिदेशक डॉ. राकेश कुमार, प्रशासनिक समिति सदस्य राजेश जैन, राजेंद्र गुप्ता और कार्यकारी निदेशक आरके वर्मा भी मौजूद रहे।