जीडीपी, आईआईपी और सीपीआई के लिए केंद्र ने रखा नए आधार वर्ष का प्रस्ताव
- कारोबार दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- August 6, 2025
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जीडीपी, आईआईपी और सीपीआई के आधार वर्षों में बदलाव करने का प्रस्तवा रखा है। वित्त मंत्रालय ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आधार वर्ष को समय-समय पर संशोधित किया जाता है जिससे अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलावों को बेहतर तरीके से दर्शाया जा सके। आठवीं आर्थिक जनगणना कराने को लेकर निर्णय अभी नहीं लिया गया है।
सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के लिए 2022-23 और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के लिए 2024 को आधार वर्ष बनाने का प्रस्तवा रखा है। संसद में आज बुधवार को यह जानकारी दी गई। फिलहाल जीडीपी और आईआईपी की गणना 2011-12, जबकि सीपीआई की गणना 2012 को आधार बनाकर की जाती है।
जानिए क्या होता है आधार वर्ष?
आधार वर्ष समय के साथ डेटा पर नजर रखने का शुरुआती बिंदु होता है। यह डेटा में बदलाव को मापने का संदर्भ बिंदु होता है। आधार वर्षों का उपयोग व्यावसायिक गतिविधि को मापने के लिए किया जाता है, जैसे कि एक अवधि से दूसरी अवधि तक बिक्री में वृद्धि या संकुचन।
आधार वर्ष को समय-समय पर किया जाता है संशोधित
सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री ने लोकसभा में बताया कि मंत्रालय जीडीपी, आईआईपी और सीपीआई के आधार वर्ष को संशोधित करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि आधार वर्ष को समय-समय पर संशोधित किया जाता है ताकि अर्थव्यवस्था में हो रहे संरचनात्मक बदलावों को बेहतर तरीके से दर्शाया जा सके। इसके तहत आंकड़ों की गणना की विधियों को अपडेट किया जाता है और नए डेटा स्रोतों को भी शामिल किया जाता है।
जानिए क्या होता है आधार वर्ष?
आधार वर्ष समय के साथ डेटा पर नजर रखने का शुरुआती बिंदु होता है। यह डेटा में बदलाव को मापने का संदर्भ बिंदु होता है। आधार वर्षों का उपयोग व्यावसायिक गतिविधि को मापने के लिए किया जाता है, जैसे कि एक अवधि से दूसरी अवधि तक बिक्री में वृद्धि या संकुचन।
आधार वर्ष को समय-समय पर किया जाता है संशोधित
सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन राज्य मंत्री ने लोकसभा में बताया कि मंत्रालय जीडीपी, आईआईपी और सीपीआई के आधार वर्ष को संशोधित करने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि आधार वर्ष को समय-समय पर संशोधित किया जाता है ताकि अर्थव्यवस्था में हो रहे संरचनात्मक बदलावों को बेहतर तरीके से दर्शाया जा सके। इसके तहत आंकड़ों की गणना की विधियों को अपडेट किया जाता है और नए डेटा स्रोतों को भी शामिल किया जाता है।