पीएम मोदी ने किया कर्तव्य भवन का उद्घाटन, बोले…हर साल बचेंगे 1500 करोड़ रुपये
- दिल्ली राजनीति राष्ट्रीय
Political Trust
- August 6, 2025
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ‘कर्तव्य भवन’ का उद्धाटन किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह सिर्फ एक इमारत नहीं बल्कि करोड़ों देशवासियों के सपनों को साकार करने की भूमि है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस नए भवन से कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और सरकार सालाना लगभग 1500 करोड़ रुपये का किराया बचा पाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्तव्य भवन के शुभारंभ अवसर पर कहा कि ये केवल कुछ नये भवन और सामान्य मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं, अमृत काल में इन्हीं भवनों में विकसित भारत की नीतियां बनेंगी। विकसित भारत के लिए यहीं से महत्वपूर्ण निर्णय होंगे। आने वाले दशकों में यहीं से राष्ट्र की दिशा तय होगी।
कर्तव्य पथ पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, हम आधुनिक भारत के निर्माण से जुड़ी उपलब्धियों के साक्षी बन रहे हैं। कर्तव्य पथ, नया संसद भवन, नया रक्षा भवन, भारत मंडपम, यशोभूमि, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा और अब कर्तव्य भवन – ये सिर्फ साधारण सुविधाएं नहीं हैं। यहां विकसित भारत की नीतियां बनेंगी, महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। आने वाले समय में राष्ट्र की दिशा इसी भवन से तय होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने काफी विचार-विमर्श के बाद इस भवन को ‘कर्तव्य भवन’ नाम दिया। कर्तव्य पथ, कर्तव्य भवन नाम हमारे लोकतंत्र, संविधान के मूल मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
100 साल पुरानी इमारत में चल रहा था गृह मंत्रालय
आजादी के बाद दशकों तक देश की प्रशासनिक मशीनरी उन इमारतों से चलाई जाती रही है, जो ब्रिटिश शासन काल में बनी थीं। आप भी जानते हैं दशकों पहले बने इन प्रशासनिक भवनों में वर्किंग कंडीशन कितनी खराब थी। अभी वीडियो में कुछ झलक देखी थी। यहां काम करने वालों के लिए न पर्याप्त जगह है, न रोशनी है, न जरूरी वेंटिलेशन है। आप कल्पना कर सकते हैं, गृह मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय करीब सौ साल से एक ही इमारत में अपर्याप्त साधनों से चल रहा था।
किराए के डेढ़ हजार करोड़ रुपये बचा पाएगी सरकार
प्रधानमंत्री ने कहा, काम की वजह से कर्मचारियों का यहां से वहां आना-जाना होता है। अनुमान है कि हर रोज आठ से दस हजार कर्मचारियों को एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में आना जाना पड़ता है। इसमें भी सैकड़ों गाड़ियों की आवाजाही होती है। खर्च होता है। सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ता है। कितना समय खराब होता है। इन सबसे काम की दक्षता नहीं रहती है। इक्कीसवीं सदी के भारत को 21वीं सदी की व्यवस्थाएं चाहिए। इमारतें भी चाहिए। ऐसी इमारतें जो तकनीकी, सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से बेहतरीन हो। जहां कर्मचारी सहज हो। फैसले तेज हो और सेवाएं सुगम हो। इसलिए कर्तव्य पथ के आसपास एक समग्र दृष्टि के साथ कर्तव्य भवन जैसी विशाल इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। ये तो पहला कर्तव्य भवन पूरा हुआ है। अभी कई कर्तव्य भवनों का निर्माण तेजी से चल रहे हैं। ये कार्यालय जब आसपास होंगे तो इससे कर्मचारियों को काम करने के लिए सही माहौल मिलेगा। जरूरी सुविधाएं मिलेंगी। उनका कुल वर्क आउटपुट भी बढ़ेगा और सरकार डेढ़ हजार करोड़ रुपये किराए पर खर्च कर रही है, वह भी बचेगा।
कर्तव्य पथ पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, हम आधुनिक भारत के निर्माण से जुड़ी उपलब्धियों के साक्षी बन रहे हैं। कर्तव्य पथ, नया संसद भवन, नया रक्षा भवन, भारत मंडपम, यशोभूमि, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा और अब कर्तव्य भवन – ये सिर्फ साधारण सुविधाएं नहीं हैं। यहां विकसित भारत की नीतियां बनेंगी, महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे। आने वाले समय में राष्ट्र की दिशा इसी भवन से तय होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने काफी विचार-विमर्श के बाद इस भवन को ‘कर्तव्य भवन’ नाम दिया। कर्तव्य पथ, कर्तव्य भवन नाम हमारे लोकतंत्र, संविधान के मूल मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
100 साल पुरानी इमारत में चल रहा था गृह मंत्रालय
आजादी के बाद दशकों तक देश की प्रशासनिक मशीनरी उन इमारतों से चलाई जाती रही है, जो ब्रिटिश शासन काल में बनी थीं। आप भी जानते हैं दशकों पहले बने इन प्रशासनिक भवनों में वर्किंग कंडीशन कितनी खराब थी। अभी वीडियो में कुछ झलक देखी थी। यहां काम करने वालों के लिए न पर्याप्त जगह है, न रोशनी है, न जरूरी वेंटिलेशन है। आप कल्पना कर सकते हैं, गृह मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय करीब सौ साल से एक ही इमारत में अपर्याप्त साधनों से चल रहा था।
किराए के डेढ़ हजार करोड़ रुपये बचा पाएगी सरकार
प्रधानमंत्री ने कहा, काम की वजह से कर्मचारियों का यहां से वहां आना-जाना होता है। अनुमान है कि हर रोज आठ से दस हजार कर्मचारियों को एक मंत्रालय से दूसरे मंत्रालय में आना जाना पड़ता है। इसमें भी सैकड़ों गाड़ियों की आवाजाही होती है। खर्च होता है। सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ता है। कितना समय खराब होता है। इन सबसे काम की दक्षता नहीं रहती है। इक्कीसवीं सदी के भारत को 21वीं सदी की व्यवस्थाएं चाहिए। इमारतें भी चाहिए। ऐसी इमारतें जो तकनीकी, सुरक्षा और सुविधा के लिहाज से बेहतरीन हो। जहां कर्मचारी सहज हो। फैसले तेज हो और सेवाएं सुगम हो। इसलिए कर्तव्य पथ के आसपास एक समग्र दृष्टि के साथ कर्तव्य भवन जैसी विशाल इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। ये तो पहला कर्तव्य भवन पूरा हुआ है। अभी कई कर्तव्य भवनों का निर्माण तेजी से चल रहे हैं। ये कार्यालय जब आसपास होंगे तो इससे कर्मचारियों को काम करने के लिए सही माहौल मिलेगा। जरूरी सुविधाएं मिलेंगी। उनका कुल वर्क आउटपुट भी बढ़ेगा और सरकार डेढ़ हजार करोड़ रुपये किराए पर खर्च कर रही है, वह भी बचेगा।