गर्भाशय की जगह शरीर के इस अंग में मिला गर्भ, डॉक्टर हुए दंग, महिला हैरान
- उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य
Political Trust
- July 25, 2025
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मेरठ। जिला बुलंदशहर की एक महिला को पेट में काफी दिन से दर्द की शिकायत थी। उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था। महिला ने चिकित्सक को दिखाया तो उसने पूरे पेट की एमआरआई जांच करवाने को कहा। महिला ने जब एमआरआई जांच कराई तो चौकाने वाला मामला सामने आया। महिला के पेट में गर्भाशय की जगह उसके लीवर में तीन माह का गर्भ मिला। इस घटना से डॉक्टर भी हैरान हैं।
30 वर्षीय महिला के दुर्लभ गर्भधारण का मामला सामने आया है। महिला को गर्भाशय की जगह लिवर के दाहिने भाग में तीन माह का गर्भ है। जिसमें कार्डियक पल्सेशन (धड़कन) भी है। महिला का परीक्षण करने वाले रेडियोलॉजिस्ट डॉ. केके गुप्ता ने यह जानकारी दी है।
डॉ. केके गुप्ता ने बताया कि महिला बुलंदशहर जिले की रहने वाली है। महिला के पहले से दो बच्चे हैं। महिला गृहिणी है और पति निजी कंपनी में नौकरी करता है। महिला को पिछले दो महीने से लगातार पेट दर्द और उल्टी की शिकायत है। कई जगह इलाज करवाया, पर कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्हें एक निजी इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर में पूरे पेट की एमआरआई जांच के लिए भेजा गया।
डॉ. केके गुप्ता ने जांच की तो पता चला कि गर्भधारण गर्भाशय की जगह लिवर के दाहिने भाग में है। मेडिकल की भाषा मे यह स्थिति इंट्राहेप्टिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहलाती है। जो कि अपने आप में अत्यंत दुर्लभ होती है। इस प्रकार की एक्टोपिक प्रेग्नेंसी सभी एक्टोपिक मामलों में मात्र 0.03% होती है। उन्होंने तुरंत महिला की स्थिति उनके चिकित्सक को बताई और मामले की गंभीरता पर चर्चा की। ऐसी स्थितियों में गर्भाशय के बाहर भ्रूण का विकास अत्यंत जोखिम भरा होता है। गर्भपात और सर्जरी ही इसका इलाज है, जिससे महिला की जान बचाई जा सकती है। सर्जरी में थोड़ा लिवर भी काटना पड़ सकता है।
डॉ. केके गुप्ता ने बताया कि महिला बुलंदशहर जिले की रहने वाली है। महिला के पहले से दो बच्चे हैं। महिला गृहिणी है और पति निजी कंपनी में नौकरी करता है। महिला को पिछले दो महीने से लगातार पेट दर्द और उल्टी की शिकायत है। कई जगह इलाज करवाया, पर कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्हें एक निजी इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर में पूरे पेट की एमआरआई जांच के लिए भेजा गया।
डॉ. केके गुप्ता ने जांच की तो पता चला कि गर्भधारण गर्भाशय की जगह लिवर के दाहिने भाग में है। मेडिकल की भाषा मे यह स्थिति इंट्राहेप्टिक एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहलाती है। जो कि अपने आप में अत्यंत दुर्लभ होती है। इस प्रकार की एक्टोपिक प्रेग्नेंसी सभी एक्टोपिक मामलों में मात्र 0.03% होती है। उन्होंने तुरंत महिला की स्थिति उनके चिकित्सक को बताई और मामले की गंभीरता पर चर्चा की। ऐसी स्थितियों में गर्भाशय के बाहर भ्रूण का विकास अत्यंत जोखिम भरा होता है। गर्भपात और सर्जरी ही इसका इलाज है, जिससे महिला की जान बचाई जा सकती है। सर्जरी में थोड़ा लिवर भी काटना पड़ सकता है।