नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद जजों की नियुक्ति में देरी को लेकर दाखिल याचिकाओं पर दो हफ्ते बाद सुनवाई करने का फैसला किया है। मुख्य न्यायाधीश ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार और प्रशांत भूषण की अपील पर यह सहमति दी। अधिवक्ताओं ने कहा कि कुछ नाम 2019, 2020 और 2022 में दोबारा सिफारिश के बावजूद अभी तक मंजूर नहीं हुए हैं, जिससे उम्मीदवारों की रुचि और वरिष्ठता दोनों प्रभावित हो रही है। दातार ने बताया कि दिल्ली और मुंबई के कुछ वकीलों ने अंततः नाम वापस ले लिए। प्रशांत भूषण ने एक महिला वकील का उदाहरण दिया जो नेशनल लॉ स्कूल की टॉपर थीं, लेकिन उनका नाम बार-बार अटका। यह मामला उस बड़ी बहस का हिस्सा है जिसमें केंद्र और न्यायपालिका के बीच कॉलेजियम प्रणाली को लेकर मतभेद जारी हैं।