आईटीआर फाइल करने के फायदे जान हो जाएंगे हैरान, आने वाले समय में मिलेगे कई अन्य लाभ

 आईटीआर फाइल करने के फायदे जान हो जाएंगे हैरान, आने वाले समय में मिलेगे कई अन्य लाभ
नई दिल्ली। आईटीआर फाइल करने के अपने कई फायदे हैं। अगर आप टैक्स के दायरे में नहीं आ रहे हैं तो भी Nil ITR फाइल करना फायदेमंद है। भले आपकी आमदनी टैक्स योग्य न हो। यह फाइनेंशियल प्रूफ, लोन-क्रेडिट कार्ड, वीजा, और TDS रिफंड में मदद करता है। निवेश में हुए घाटे को कैरी फॉरवर्ड करने का मौका भी देता है। ITR आपकी फाइनेंशियल जिम्मेदारी दर्शाता है, जिससे आने वाले समय में कई फायदे मिलते हैं।
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का सीजन जोरों पर है। जिनकी टैक्स देनदारी बन रही है, वे टैक्स बचाने की जुगत में लगे हैं। वहीं, जिनकी सैलरी पर टैक्स नहीं बनता, वे निश्चिंत होकर बैठे हैं और सोचते हैं “हमें क्या करना है, हम तो टैक्स के दायरे में आते ही नहीं!”
नए टैक्स रेजीम में 4 लाख रुपये तक की सालाना सैलरी और पुराने रेजीम में 2.5 लाख रुपये तक की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं बनता। यानी इतनी आमदनी वालों की टैक्स देनदारी शून्य होती है लेकिन क्या आप जानते हैं? जीरो टैक्स देनदारी होने के बावजूद अगर आप ITR फाइल करते हैं, तो इसके कई बड़े फायदे मिलते हैं। ऐसे फायदे जो आपको हर साल ITR फाइल करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
वित्तीय सबूत का भरोसेमंद दस्तावेज
ITR वित्तीय सबूत का काम करता है। चाहे वीजा अप्लाई करना हो या लोन लेना हो, हर जगह ITR मांगा जाता है। मान लीजिए, आप विदेश घूमने का प्लान बना रहे हैं और वीजा अप्लाई करने गए। वहां आपसे इनकम प्रूफ मांगा जाएगा। या फिर बैंक से होम लोन लेने की सोच रहे हैं, तब भी ITR दिखाना पड़ता है। ये दस्तावेज आपकी फाइनेंशियल हिस्ट्री को साफ-साफ दिखाता है, जिससे आपकी विश्वसनीयता बढ़ती है।
TDS रिफंड का आसान रास्ता
अगर आपकी सैलरी टैक्स के दायरे में नहीं आती, लेकिन फिर भी बैंक ने आपके फिक्स्ड डिपॉजिट या सेविंग्स अकाउंट के ब्याज पर TDS काट लिया, तो परेशान न हों। ITR फाइल करके आप इस कटे हुए टैक्स को रिफंड के तौर पर वापस पा सकते हैं। उदाहरण के लिए, मान लीजिए आपके FD पर 10,000 रुपये ब्याज आया और बैंक ने उसका 10% TDS काट लिया। अगर आपकी कुल कमाई टैक्सेबल लिमिट से कम है, तो ये पैसा आपका हक है। ITR फाइल करें और रिफंड क्लेम करें। बिना ITR के ये पैसा वापस पाना मुश्किल है।
लोन और क्रेडिट कार्ड में आसानी
बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन लोन या क्रेडिट कार्ड देते वक्त ITR मांगते हैं। अगर आप कहते हैं कि ‘मेरी सैलरी तो टैक्स के दायरे में आती ही नहीं,’ तो बैंक आपकी बात से इंप्रेस नहीं होगा. लेकिन अगर आप जीरो टैक्स देनदारी के बावजूद नियमित रूप से ITR फाइल करते हैं, तो बैंक आपको जिम्मेदार टैक्सपेयर मानता है। इससे होम लोन, पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड मिलने की संभावना बढ़ जाती है। खासकर अगर आपका क्रेडिट स्कोर कम है, तो ITR आपके लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। बैंक को भरोसा होता है कि आप लोन चुका देंगे।