जयंती पर स्मरण : ‘लोकतंत्र का लड़ाका’ जॉर्ज फर्नांडीज
- राजनीति राष्ट्रीय
Political Trust
- June 3, 2025
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हाँ, कई वर्षों से उन्हें इसका पता नहीं रहता था। गंभीर बीमारी और स्मृति-लोप के कारण एक समय के धाकड़ क्रांतिकारी मजदूर नेता और प्रखर समाजवादी, लोहियावादी को कुछ पता नहीं था कि देश-विदेश की राजनीति में अभी क्या हो रहा और उन्हें किस रूप में याद किया जा रहा है!
उनकी एक आवाज पर कभी मुंबई ठप्प पड़ जाती थी। देश भर में रेल चक्का थम जाता था।
बतौर रक्षा मंत्री 70 वर्ष की उम्र में उन्होंने करगिल की 18 बार यात्रा की। पाकिस्तान को पटकनी दी।
वे जुझारू और जबरदस्त नेता थे। स्पष्ट बोलने वाले। खरी-खरी कहने वाले।
उद्योगपतियों के एक सम्मेलन में बतौर उद्योगमंत्री उन्होंने उद्योगपतियों को तानाशाह (आपातकाल) के समक्ष हड़बड़ाते चूहों की संज्ञा दी थी।
मुंबई महानगरपालिका के पार्षद से लोकसभा सांसद और उद्योग मंत्री , रेल मंत्री, रक्षा मंत्री के सफ़र में जॉर्ज की आवाज सहमति-असहमति-विरोध-प्रतिरोध के बीच एक विशिष्ट आवाज बनी रही। उनकी संघर्षशीलता और दमदार उपस्थिति को विरोधी भी आदर देते थे।
चौथी लोकसभा चुनाव (1967) में दक्षिण मुंबई से भारत सरकार के वरिष्ठ मंत्री दिग्गज नेता एस के पाटील , जो तीन लोस चुनावों से भारी बहुमत से जीतते आ रहे थे, को पार्षद और मजदूर नेता जॉर्ज ने 48.5 प्रतिशत मत पाकर 40 हजार वोटों से जोरदार पटकनी दी।
कहते हैं कि पाटिल ही नहीं, उस समय की मीडिया भी उन्हें अजेय मानती थी। यही नहीं कहा जाता है कि पाटील ने पत्रकारों से कहा था कि ‘भगवान भी उन्हें नहीं हरा सकता है!’
दुर्द्धर्ष समाजवादी , श्रमिक पुरोधा जॉर्ज अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सूत्रधार और संकटमोचक के रूप में भी जाने गये।
वे वही जुझारू लोहियावादी थे, जो लोकसभा में भाजपा सहयोगी के रूप में अटल सरकार के पक्ष में
‘वे कौन हैं जो इकट्ठे हुए हैं’ की ललकार लगा रहे थे।
राजग काल में ‘सांप्रदयिकता से समझौता’ के आरोप लगे उन पर। लगाये जाते रहे। साथ ही रक्षा मंत्री के तौर पर भ्रष्टाचार के तीन गंभीर आरोप लगे। उन्हें विपक्ष ने ‘कफन चोर’ भी कहा । शस्त्रों की खरीद में ‘तहलका’ स्टिंग में दलाली के भी आरोप लगे। इजरायल से शस्त्र खरीद में भी रिश्वत के आरोप लगे। पर, अंततः जॉर्ज फर्नांडीज निर्दोष साबित हुए।
चीन के मामले में जॉर्ज साहब सही थे। वे दूरदर्शी थे। कहते थे दुश्मन नंबर एक देश है चीन। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू से अभी मोदी तक हिंदी-चीनी भाई-भाई , भाईचारे की तमाम पहल के बावजूद चीनी सत्ता की खल प्रवृत्ति जारी है। माओत्सेतुंग का साम्यवादी चीन युद्धोन्मादी, धोखेबाज और शांति विरोधी है।
लोकतंत्र के लड़ाका जॉर्ज को सादर नमन। आपकी स्मृतियाँ जन-मन में सुरक्षित है।