पूर्व सेबी प्रमुख को लोकपाल की क्लीनचिट, कहा— ‘हिंडनबर्ग रिपोर्ट माधवी बुच के खिलाफ कार्रवाई आधार नहीं’
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- May 29, 2025
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नई दिल्ली। बुधवार को लोकपाल ने पूर्व सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच को क्लीनचिट दे दी है। लोकपाल ने कहा कि ‘हिंडनबर्ग रिपोर्ट माधवी बुच के खिलाफ कार्रवाई का कोई आधार नहीं है। बता दें 10 अगस्त, 2024 को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति ने कुछ विदेशी फंड्स में हिस्सेदारी थी। जो कथित रूप से अदाणी समूह के खिलाफ चल रही धनशोधन की जांच से जुड़े थे। हालांकि, बुच और उनके पति ने इन आरोपों को शुरू से ही खारिज किया है। अब इस मामले में जांच कर रही लोकपाल ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है।
भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल ने सेबी की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच को राहत दे दी है। लोकपाल ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आधार पर पूर्व सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाई गई शिकायतों का निपटारा करते हुए उनपर लगे आरोपों को अप्रमाणित और तुच्छ बताया। साथ ही कहा कि ये आरोप बिना सत्यापन योग्य साक्ष्य के अनुमान पर आधारित थे। इन्हें लेकर किसी जांच की आवश्यकता नहीं है।
लोकपाल ने बुधवार को कहा कि माधबी पुरी बुच के खिलाफ बीते साल दर्ज की गई सभी शिकायतें मूल रूप से एक शॉर्ट सेलर ट्रेडर की रिपोर्ट पर आधारित थीं। जिसका उद्देश्य अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज को बेनकाब करना या उन्हें घेरना था।
लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय पीठ ने आदेश में कहा कि शिकायतों में लगाए गए आरोप अनुमानों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इनके एवज में किसी भी तरह के सबूत नहीं है। ऐसे में इन आरोपों पर किसी भी तरह की जांच का निर्देश नहीं दिया जा सकता। इस संबंध में पहले के आदेश का हवाला देते हुए लोकपाल ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को बुच के खिलाफ कार्रवाई बढ़ाने का एकमात्र आधार नहीं बनाया जा सकता।
आदेश में यह भी कहा गया है कि शिकायतकर्ता इस स्थिति से अवगत हैं। उन्होंने रिपोर्ट से प्रभावित होकर आरोप लगाने का प्रयास किया। लेकिन हमारे द्वारा आरोपों के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकला कि वे अपुष्ट, अप्रमाणित और तुच्छ हैं।
लोकपाल ने बुधवार को कहा कि माधबी पुरी बुच के खिलाफ बीते साल दर्ज की गई सभी शिकायतें मूल रूप से एक शॉर्ट सेलर ट्रेडर की रिपोर्ट पर आधारित थीं। जिसका उद्देश्य अडानी ग्रुप ऑफ कंपनीज को बेनकाब करना या उन्हें घेरना था।
लोकपाल अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय पीठ ने आदेश में कहा कि शिकायतों में लगाए गए आरोप अनुमानों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इनके एवज में किसी भी तरह के सबूत नहीं है। ऐसे में इन आरोपों पर किसी भी तरह की जांच का निर्देश नहीं दिया जा सकता। इस संबंध में पहले के आदेश का हवाला देते हुए लोकपाल ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को बुच के खिलाफ कार्रवाई बढ़ाने का एकमात्र आधार नहीं बनाया जा सकता।
आदेश में यह भी कहा गया है कि शिकायतकर्ता इस स्थिति से अवगत हैं। उन्होंने रिपोर्ट से प्रभावित होकर आरोप लगाने का प्रयास किया। लेकिन हमारे द्वारा आरोपों के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकला कि वे अपुष्ट, अप्रमाणित और तुच्छ हैं।