देवी अहिल्या बाई होल्कर की 300 वीं जयंती पर प्रधानमंत्री जारी करेंगे 300 रुपये का सिक्का और डाक टिकट

 देवी अहिल्या बाई होल्कर की 300 वीं जयंती पर प्रधानमंत्री जारी करेंगे 300 रुपये का सिक्का और डाक टिकट
देवी अहिल्या बाई
भोपाल। देवी अहिल्या बाई होल्कर की 300 वीं जयंती के अवसर पर भारत सरकार उनकी स्मृति में 300 रुपये का सिक्का और विशेष डाक टिकट जारी करने जा रही है। इसकी अधिसूचना जारी हो गई है। इंदौर में होल्कर रियासत की शासिका रही देवी अहिल्या बाई पर सिक्का एक ऐतिहासिक कदम होगा। यह देवी अहिल्या बाई के प्रति देश के सम्मान का सूचक है। देवी अहिल्या बाई होल्कर का त्रिजन्म शताब्दी मुख्य समारोह 31 मई को भोपाल में होगा। इस अवसर पर महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सिक्का और विशेष डाक टिकट जारी करेंगे।
होल्कर कालीन सिक्कों का रोचक है इतिहास
होल्कर राज्य के सिक्कों का इतिहास अति प्राचीन नहीं है। अहिल्या बाई होल्कर के ससुर मल्हारराव होल्कर के कार्यकाल में पानीपत युद्ध (1761) के दौरान अनाज की कमी और सैन्य खर्च की पूर्ति करने के लिए चांदी के सिक्के जारी किए गए थे। ये सिक्के मल्हारशाही सिक्के कहलाते थे। आज ये सिक्के दुर्लभ हैं। जे.एफ. शेकल्टन की पुस्तक में मल्हारशाही सिक्कों का विवरण है। अहिल्या बाई के राज में सिक्के पर शिवलिंग अंकित था। इंदौर में अहिल्या बाई का कार्यकाल शुरू होने के बाद 1767 का सिक्का पाया गया है। यह सिक्का मल्हारनगर (इंदौर) की टकसाल में ढाला गया था। देवी अहिल्या बाई के कार्यकाल में मल्हारनगर (इंदौर) के साथ महेश्वर में भी सिक्कों को ढालने की टकसाल स्थापित की गई थी। प्रोफेसर एलसी धारीवाल की इंदौर स्टेट गजेटियर के खंड एक में उल्लेख है कि महेश्वर में ढाले गए सिक्के केवल धार्मिक कार्यों के उपयोग किए जाते थे। महेश्वर की टकसाल ढले चांदी के सिक्कों पर शिवलिंग, जलधारी और बिल्वपत्र अंकित था। मल्हारनगर (इंदौर) में ढाले गए सिक्कों पर सूर्य और चंद्र अंकित थे। बैतूल से प्राप्त अहिल्या बाई के कार्यकाल के सिक्के भी मल्हारनगर (इंदौर) में ढाले गए थे।