आईटीआर-1 से लेकर आईटीआर-7 फॉर्म में हुए हैं बदलाव? रिटर्न भरने से पहले जान लें डीटेल
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- May 18, 2025
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नई दिल्ली। आईटीआर-1 से लेकर आईटीआर-7 फॉर्म तक में बदलाव हुए हैं। रिटर्न भरने से पहले डीटेल जाननी जरूरी है।
इनकम टैक्स विभाग ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सातों आईटीआर फॉर्म नोटिफाई कर दिए है। हालांकि, इस साल इन आईटीआर फॉर्म्स में कई बदलाव भी किए गए हैं।
इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म्स हर साल अलग-अलग प्रकार के टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी हिस्सा होते हैं। इनकम टैक्स विभाग ने असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए सातों आईटीआर फॉर्म्स को नोटिफाई कर दिया है। जो फाइनेंशियल ईयर 2024-25 यानी 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक की कमाई के लिए लागू होंगे। हर फॉर्म अलग-अलग तरह के टैक्सपेयर्स के लिए बनाया गया है। जिसमें नौकरीपेशा लोग, बिजनेसमैन, फर्म्स, ट्रस्ट्स और कंपनियां आदि शामिल हैं। सीबीडीटी ने इस साल इन फॉर्म्स में कुछ जरूरी बदलाव भी किए गए हैं, खासकर कैपिटल गेन्स, डिडक्शन्स और डिस्क्लोजर रूल्स को लेकर।
आईटीआर-1 सहज: छोटे टैक्सपेयर्स के लिए आसान फॉर्म
ITR-1, जिसे सहज भी कहते हैं, उन लोगों के लिए है जिनकी सालाना इनकम 50 लाख रुपये तक है और वो भारत के रेजिडेंट हैं (यानी जो लोग भारत में कम से कम 182 दिन रहते हैं, लेकिन नॉट ऑर्डिनरिली रेजिडेंट नहीं हैं)। यह फॉर्म सैलरी, पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी से इनकम, ब्याज (जैसे बैंक डिपॉजिट्स से) और 5,000 रुपये तक की कृषि आय वालों के लिए है।
इस साल इस फॉर्म में एक बड़ा बदलाव ये हुआ है कि अब आप लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स जो सेक्शन 112A के तहत हैं, यानी लिस्टेड शेयर्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से 1.25 लाख रुपये तक के गेन्स को इस फॉर्म में दिखा सकते हैं। पहले अगर आपके पास कोई कैपिटल गेन्स होता था, तो आपको ITR-2 भरना पड़ता था, जो ज्यादा जटिल है। अब इस नए बदलाव से छोटे इनवेस्टर्स को राहत मिलेगी, क्योंकि वो आसान फॉर्म में ही अपनी इनकम दिखा सकते हैं।
इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म्स हर साल अलग-अलग प्रकार के टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी हिस्सा होते हैं। इनकम टैक्स विभाग ने असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए सातों आईटीआर फॉर्म्स को नोटिफाई कर दिया है। जो फाइनेंशियल ईयर 2024-25 यानी 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक की कमाई के लिए लागू होंगे। हर फॉर्म अलग-अलग तरह के टैक्सपेयर्स के लिए बनाया गया है। जिसमें नौकरीपेशा लोग, बिजनेसमैन, फर्म्स, ट्रस्ट्स और कंपनियां आदि शामिल हैं। सीबीडीटी ने इस साल इन फॉर्म्स में कुछ जरूरी बदलाव भी किए गए हैं, खासकर कैपिटल गेन्स, डिडक्शन्स और डिस्क्लोजर रूल्स को लेकर।
आईटीआर-1 सहज: छोटे टैक्सपेयर्स के लिए आसान फॉर्म
ITR-1, जिसे सहज भी कहते हैं, उन लोगों के लिए है जिनकी सालाना इनकम 50 लाख रुपये तक है और वो भारत के रेजिडेंट हैं (यानी जो लोग भारत में कम से कम 182 दिन रहते हैं, लेकिन नॉट ऑर्डिनरिली रेजिडेंट नहीं हैं)। यह फॉर्म सैलरी, पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी से इनकम, ब्याज (जैसे बैंक डिपॉजिट्स से) और 5,000 रुपये तक की कृषि आय वालों के लिए है।
इस साल इस फॉर्म में एक बड़ा बदलाव ये हुआ है कि अब आप लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स जो सेक्शन 112A के तहत हैं, यानी लिस्टेड शेयर्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से 1.25 लाख रुपये तक के गेन्स को इस फॉर्म में दिखा सकते हैं। पहले अगर आपके पास कोई कैपिटल गेन्स होता था, तो आपको ITR-2 भरना पड़ता था, जो ज्यादा जटिल है। अब इस नए बदलाव से छोटे इनवेस्टर्स को राहत मिलेगी, क्योंकि वो आसान फॉर्म में ही अपनी इनकम दिखा सकते हैं।
लेकिन ध्यान रहे, अगर आपके पास कैपिटल लॉस है जिसे कैरी फॉरवर्ड करना है, तो ये फॉर्म आपके लिए नहीं है।
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