आईएमएफ एग्जीक्यूटिव बोर्ड आज तय करेगा पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर का नया लोन दें या नहीं

Political trust magazine
नई दिल्ली। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) का एग्जीक्यूटिव बोर्ड आज यह तय करेगा कि पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर (करीब 11,113 करोड़ रुपये) का नया लोन देना है या नहीं। पाकिस्तान को यह पैकेज क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन प्रोग्राम के तहत दिया जाना है।
बोर्ड की मीटिंग में भारत इसका विरोध कर सकता है, क्योंकि पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर के चलते दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। ऐसे में भारत नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान को कोई भी फंड मिले और वह इसका इस्तेमाल भारत में आतंकवाद फैलाने पर करे।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा- मुझे लगता है कि यह एक ऐसा निर्णय है जिसे (आईएमएफ) बोर्ड के सदस्यों को अपने भीतर गहराई से देखकर और तथ्यों को देखकर लेना चाहिए। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा- मुझे लगता है कि यह एक ऐसा निर्णय है जिसे (आईएमएफ) बोर्ड के सदस्यों को अपने भीतर गहराई से देखकर और तथ्यों को देखकर लेना चाहिए।
आईएमएफ की मीटिंग से एक दिन पहले (9 मई) को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पाकिस्तान को राहत देने से पहले बोर्ड को अपने अंदर गहराई से देखना चाहिए और तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए। पिछले तीन दशकों में IMF ने पाकिस्तान को कई बड़ी सहायता दी है। उससे चलाए गए कोई भी कार्यक्रम सफल नतीजे तक नहीं पहुंच पाए हैं।
बोर्ड की मीटिंग में भारत इसका विरोध कर सकता है, क्योंकि पहलगाम में हुए आतंकी हमले और भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर के चलते दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। ऐसे में भारत नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान को कोई भी फंड मिले और वह इसका इस्तेमाल भारत में आतंकवाद फैलाने पर करे।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा- मुझे लगता है कि यह एक ऐसा निर्णय है जिसे (आईएमएफ) बोर्ड के सदस्यों को अपने भीतर गहराई से देखकर और तथ्यों को देखकर लेना चाहिए। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा- मुझे लगता है कि यह एक ऐसा निर्णय है जिसे (आईएमएफ) बोर्ड के सदस्यों को अपने भीतर गहराई से देखकर और तथ्यों को देखकर लेना चाहिए।
आईएमएफ की मीटिंग से एक दिन पहले (9 मई) को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पाकिस्तान को राहत देने से पहले बोर्ड को अपने अंदर गहराई से देखना चाहिए और तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए। पिछले तीन दशकों में IMF ने पाकिस्तान को कई बड़ी सहायता दी है। उससे चलाए गए कोई भी कार्यक्रम सफल नतीजे तक नहीं पहुंच पाए हैं।