“भगवान राम हमारे जीवन के आदर्श, और अयोध्या हमारी आत्मा की सांस्कृतिक जड़ें हैं” – श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत

 “भगवान राम हमारे जीवन के आदर्श, और अयोध्या हमारी आत्मा की सांस्कृतिक जड़ें हैं” – श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत

भगवान राम के चरित्र ने भारतीय संस्कृति के प्रवाह को बनाए रखने के लिए ऊर्जा और दिशा प्रदान की है: श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत

Report by : Nimmi Thakur

नई दिल्ली, 11 अप्रैल 2025 – इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) में आयोजित तीन दिवसीय ‘अयोध्या पर्व 2025’ ने राजधानी की सांस्कृतिक चेतना को जागृत कर दिया है। यह पर्व केवल एक आयोजन नहीं, अपितु भारतीय आत्मा के गहनतम बिंदुओं को स्पर्श करने वाला आध्यात्मिक अनुभव बन गया है।

इस पर्व का उद्घाटन अयोध्या के पूज्य संतों, विद्वानों, कलाकारों और देश के प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। ‘मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम’ की लघु चित्रकला प्रदर्शनी, ‘बड़ी है अयोध्या’ थीम पर चौरासी कोस की सांस्कृतिक यात्रा, और ‘वाल्मीकि रामायण’ की अनोखी प्रस्तुति ने दर्शकों को श्रद्धा और गौरव के भाव से भर दिया।

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इस अवसर पर कहा, “भगवान राम के आदर्शों ने न केवल भारत के चिंतन को आकार दिया, अपितु हमारी संस्कृति को हजारों वर्षों तक निर्बाध प्रवाहित रखने की ऊर्जा और दिशा प्रदान की है। रामलला के अयोध्या धाम में पुनः प्रतिष्ठित होने के बाद यह प्रतीत होता है कि भारत के भाग्य का सूर्य एक बार फिर उदय हुआ है।”

श्री शेखावत ने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह ग्रंथ उस युग में भारत की आत्मा को जाग्रत करने वाला दीप बन गया, जब विदेशी आक्रांताओं ने हमारी सांस्कृतिक विरासत पर चोट की थी।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन को केवल एक तारीख नहीं, बल्कि “अतीत और वर्तमान को जोड़ने वाला सेतु” बताया। उन्होंने कहा, “अयोध्या भारत की भूगोलिक पहचान से परे एक आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है, जो हमारी सांस्कृतिक एकता की आत्मा है।”

IGNCA अध्यक्ष श्री राम बहादुर राय ने कहा, “अयोध्या केवल 84 कोस तक सीमित नहीं, वह तो आकाश की भांति अनंत है – जहाँ भक्ति, परंपरा और संस्कृति का समावेश होता है।”

उद्घाटन सत्र में पूज्य महंत कमल नयन दास जी महाराज और गीता मनीषी ज्ञानानंद जी जैसे आध्यात्मिक संतों ने भारतीय संस्कृति की समरसता, परंपरा और भक्ति पर विचार रखे। महंत कमल नयन दास जी ने वेदों का हवाला देते हुए सामाजिक भेदभाव को सिरे से नकारा और कहा, “ज्ञान तब तक अधूरा है जब तक उसमें सामाजिक समरसता न हो।”

पर्व की भव्यता को और ऊँचाई दी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने। मृदंग वादन, भक्ति संगीत, तबला वादन, कथक और भरतनाट्यम की प्रस्तुतियों ने रामचरित की जीवंत अनुभूति कराई।

दूसरे दिन की संगोष्ठियों में ‘भारतीय समाज में मंदिर प्रबंधन’ और ‘तुलसीदास जी का नवाचारों में योगदान’ पर गहन विमर्श हुआ, जिसमें पूरे देश से विद्वानों ने भाग लिया। यह संवाद न केवल अकादमिक थे, बल्कि भारत की जड़ों को समझने और आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान देने के दृष्टिकोण से अत्यंत प्रासंगिक थे।

तीसरे दिन का समापन ‘कुबेरनाथ राय के निबंधों में श्रीराम’ विषय पर हुई संगोष्ठी और विजया भारती की लोकगीत प्रस्तुति से हुआ। गोविंद देव गिरि जी महाराज और नरेंद्र सिंह तोमर जैसे सम्मानित अतिथियों की उपस्थिति ने समापन समारोह को गरिमामयी बना दिया।


अंतर्मन को झकझोरने वाला एक आयोजन: श्रद्धा, परंपरा और राष्ट्रीय चेतना का अद्भुत संगम

‘अयोध्या पर्व 2025’ एक सांस्कृतिक आयोजन भर नहीं, यह भारतीय चेतना के पुनरुत्थान का घोष है। यह उन अनदेखे भावों और मूल्यों को फिर से जीने का निमंत्रण है, जो रामायण और तुलसीदास की चौपाइयों में छिपे हैं।

यह उत्सव हमें स्मरण कराता है कि भारत केवल एक राष्ट्र नहीं, बल्कि एक दर्शन है – जिसमें राम का आदर्श, अयोध्या की शुद्धता, और संस्कृति की अनंत धारा आज भी हम सबको जोड़ती है।


भगवान राम के चरित्र ने भारतीय संस्कृति के प्रवाह को बनाए रखने के लिए ऊर्जा और दिशा प्रदान की है: श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत
भगवान राम के चरित्र ने भारतीय संस्कृति के प्रवाह को बनाए रखने के लिए ऊर्जा और दिशा प्रदान की है: श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत