वैश्विक व्यापार में भारत की निर्णायक भूमिका: 9वें ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में पीयूष गोयल का संबोधन

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में 9वें वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन में मुख्य भाषण दिया, जहां उन्होंने वैश्विक व्यापार को नया आकार देने में भारत के लिए आने वाले अवसरों पर, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विश्वसनीय भागीदारों के सहयोग, पर प्रकाश डाला
Report by Nimmi Thakur
नई दिल्ली – भारत तेजी से वैश्विक व्यापार और प्रौद्योगिकी के परिदृश्य में एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है। इसकी झलक 9वें वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन (Global Technology Summit 2025) में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल के प्रेरणादायक भाषण में स्पष्ट रूप से देखने को मिली। श्री गोयल ने भारत के आर्थिक, तकनीकी और कूटनीतिक दृष्टिकोण को वैश्विक मंच पर दृढ़ता से प्रस्तुत किया।
“भारत में है संभावनाओं की अपार ऊर्जा”
अपने भाषण की शुरुआत करते हुए मंत्री ने भारत को “दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था” बताते हुए कहा कि आने वाले 25 वर्षों में भारत आठ गुना विकास करेगा और यह परिवर्तन 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं से संचालित होगा। उन्होंने कहा कि भारत की घरेलू मांग में जबरदस्त वृद्धि और विश्वस्तरीय क्षमता से देश को वैश्विक व्यापार के केंद्र में लाया जा सकता है।
विश्वसनीय साझेदारियों पर फोकस
श्री गोयल ने अमेरिका जैसे विश्वसनीय और निष्पक्ष भागीदारों के साथ सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत पारस्परिकता, विश्वास और निष्पक्षता को महत्व देने वाले देशों के साथ मजबूत द्विपक्षीय साझेदारी की दिशा में अग्रसर है।
टैरिफ और एफटीए नीति में संतुलन
भारत की टैरिफ नीतियों पर उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मुख्यतः अनुचित व्यापार प्रथाओं वाले गैर-बाजार अर्थतंत्रों पर केंद्रित है। साथ ही, उन्होंने एफटीए (Free Trade Agreements) पर बातचीत करते हुए कहा कि किसी भी समझौते में राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं और भारत “समयसीमा नहीं, न्यायसंगत और पारस्परिक लाभ” को प्राथमिकता देता है।
डब्ल्यूटीओ में सुधार की आवश्यकता
विश्व व्यापार संगठन (WTO) पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत बहुपक्षवाद के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन WTO में सुधार आवश्यक है। “विकासशील देशों की परिभाषा” पर पुनर्मूल्यांकन, ई-कॉमर्स नियमों में स्पष्टता और मत्स्य पालन जैसे विषयों में संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता को उन्होंने विशेष रूप से रेखांकित किया।
भारतीय प्रतिभा और आत्मनिर्भरता
भारत में 43% महिला एसटीईएम स्नातकों का उल्लेख करते हुए उन्होंने भारत को रिसर्च एंड डेवलपमेंट-आधारित समाधान विकसित करने में अग्रणी बताया। “यदि हम पर दबाव डाला जाता है, तो हम नवाचार के जरिए समाधान प्रस्तुत करेंगे,” यह वाक्य आत्मनिर्भर भारत की जीवंत झलक प्रस्तुत करता है।
चीन और वैश्विक व्यापार पर भारत की स्पष्टता
श्री गोयल ने दो टूक कहा कि “भारत अपने हितों को पहले रखेगा।” उन्होंने बताया कि चीन से अब तक बहुत कम FDI आया है और भारत उन अर्थव्यवस्थाओं से जुड़ना चाहता है जो ईमानदार व्यावसायिक सिद्धांतों को अपनाते हैं।
निष्कर्ष: विश्वगुरु बनने की ओर भारत का आत्मविश्वासपूर्ण कदम
श्री गोयल का भाषण केवल एक नीति वक्तव्य नहीं था, बल्कि यह उस नई आत्मा का प्रतीक था जो भारत को वैश्विक मंच पर नेतृत्व प्रदान करने के लिए प्रेरित कर रही है। भारत अब केवल एक बाजार नहीं, बल्कि नैतिक, तकनीकी और रणनीतिक नेतृत्व का केंद्र बन रहा है।