आईएनएस त्रिकंद का मानवता भरा मिशन: अरब सागर में पाकिस्तानी नाविक की जान बचाकर दिखाई भारतीय नौसेना की उत्कृष्टता

 आईएनएस त्रिकंद का मानवता भरा मिशन: अरब सागर में पाकिस्तानी नाविक की जान बचाकर दिखाई भारतीय नौसेना की उत्कृष्टता

आईएनएस त्रिकंद ने मध्य अरब सागर में महत्वपूर्ण चिकित्सा सहायता प्रदान की

नई दिल्ली/अरब सागर | विशेष रिपोर्ट by Nimmi Thakur:

भारतीय नौसेना ने एक बार फिर साबित किया कि जब बात मानवता की हो, तो सीमाएं मायने नहीं रखतीं। 4 अप्रैल 2025 को, भारतीय नौसेना के स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस त्रिकंद ने मध्य अरब सागर में एक अत्यंत संवेदनशील और साहसी मिशन को अंजाम देकर एक पाकिस्तानी नागरिक की जान बचाई। यह घटना न केवल नौसेना की सामरिक दक्षता का परिचायक बनी, बल्कि भारत के मानवीय मूल्यों की एक उत्कृष्ट मिसाल भी प्रस्तुत की।

350 समुद्री मील दूर, समुद्र के बीच से उठी मदद की पुकार

सुबह-सुबह, ओमान तट से लगभग 350 समुद्री मील पूर्व में गश्त कर रहे आईएनएस त्रिकंद ने एक संकट संकेत (Distress Call) प्राप्त किया, जो ईरानी मछली पकड़ने वाली नौका “अल ओमीदी” से भेजा गया था। जांच में पता चला कि चालक दल के एक सदस्य को इंजिन पर काम करते समय गंभीर चोटें आई थीं और उसकी हालत तेजी से बिगड़ रही थी।

इस बीच, घायल व्यक्ति को एक अन्य ईरानी नौका “एफवी अब्दुल रहमान हंज़िया” में स्थानांतरित कर दिया गया, जो उस समय ईरान की ओर अग्रसर थी। तत्काल कार्रवाई करते हुए आईएनएस त्रिकंद ने अपने मार्ग को बदलते हुए एफवी तक पहुंचने का निर्णय लिया।

आईएनएस त्रिकंद की टीम ने दिखाई त्वरित प्रतिक्रिया और सटीक चिकित्सा दक्षता

एफवी अब्दुल रहमान हंज़िया पर सवार चालक दल में 11 पाकिस्तानी नागरिक (09 बलूच, 02 सिंधी) और 05 ईरानी कर्मी शामिल थे। घायल नाविक, एक बलूच पाकिस्तानी नागरिक, के हाथ में कई फ्रैक्चर थे और अत्यधिक रक्तस्राव के कारण उसकी जान को गंभीर खतरा था।

आईएनएस त्रिकंद से एक विशेष चिकित्सा टीम, जिसमें नौसेना के चिकित्सा अधिकारी, मार्कोस (मरीन कमांडो) और बोर्डिंग टीम शामिल थी, एफवी पर सवार हुई। तीन घंटे से अधिक समय तक चली सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान स्थानीय एनेस्थीसिया देकर उंगलियों में टांके लगाए गए, पट्टियाँ बांधी गईं और रक्तस्राव को नियंत्रित किया गया।

इस अत्यंत जटिल प्रक्रिया ने न केवल उस नाविक की जान बचाई, बल्कि समय रहते उपचार देकर उसके हाथ को स्थायी नुकसान से भी बचा लिया।

मेडिकल किट और सपोर्ट देकर निभाया मित्रवत दायित्व

घटना की गंभीरता को समझते हुए भारतीय नौसेना ने एंटीबायोटिक्स और आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति भी ईरान तक की यात्रा के लिए एफवी चालक दल को सौंप दी। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए था कि घायल व्यक्ति को आगे किसी संक्रमण या जटिलता का सामना न करना पड़े।

पारंपरिक सीमाओं से परे भारतीय नौसेना की भूमिका

एफवी के पूरे चालक दल ने भारतीय नौसेना को समय पर हस्तक्षेप और जीवनरक्षक सहायता के लिए गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। इस मिशन ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय नौसेना न केवल रणनीतिक ताकत है, बल्कि वैश्विक जलक्षेत्र में शांति, सहायता और सहयोग की एक सशक्त प्रतिमूर्ति भी है।

निष्कर्ष: मानवता की सेवा में ‘समुद्री प्रहरी’

यह घटना भारतीय नौसेना की ‘मिशन-रेडी’ संस्कृति, सीमापार मानव सेवा और अंतरराष्ट्रीय समुद्री उत्तरदायित्व को उजागर करती है। आईएनएस त्रिकंद की यह कार्रवाई ‘सेवा परमो धर्मः’ की भावना को जीवंत करती है – जहाँ मानवीय जीवन की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।

यह न केवल भारत की सैन्य नीतियों की नैतिक गहराई को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्रीय सहयोग, सद्भाव और विश्व में भारत की सकारात्मक भूमिका को भी सशक्त करता है।