स्टार्टअप महाकुंभ में जनजातीय स्टार्टअप्स ने बिखेरा जलवा, आदिवासी उद्यमिता की ओर आत्मनिर्भर भारत की मजबूत छलांग

नई दिल्ली, भारत मंडपम:
देश के सबसे बड़े स्टार्टअप प्लेटफॉर्म “स्टार्टअप महाकुंभ” में इस वर्ष एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा आयोजित एक विशेष पहल में देश भर के 45 जनजातीय-नेतृत्व वाले स्टार्टअप्स ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवाई। यह आयोजन न केवल जनजातीय उद्यमिता को राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने का माध्यम बना, बल्कि ‘धरतीआबाट्राइबप्रिन्योर्स 2025’ जैसी दूरदर्शी पहल के अंतर्गत आत्मनिर्भर भारत के आदिवासी स्वरूप की एक सशक्त झलक भी प्रस्तुत की।
जनजातीय गौरव और नवाचार का संगम
जनजातीय गौरव वर्ष के भाग के रूप में आयोजित इस विशेष सत्र में, टेक्नोलॉजी से लेकर ऑर्गेनिक फार्मिंग, हरित ऊर्जा, सतत पर्यटन और सामाजिक नवाचार जैसे विविध क्षेत्रों में काम कर रहे स्टार्टअप्स ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियों से उपस्थितजनों को आकर्षित किया। यह कार्यक्रम आदिवासी युवाओं की प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और नवोन्मेषी सोच का जीता-जागता प्रमाण बना।
राष्ट्रीय स्तर पर मिली पहचान, केंद्रीय मंत्रियों ने दी बधाई
इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम और मंत्रालय के सचिव श्री विभु नायर ने स्टार्टअप्स को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया। उन्होंने कहा, “इन नवोदित उद्यमियों ने आदिवासी समाज की आकांक्षाओं को नई उड़ान दी है और भारत के विकास की मुख्यधारा में उन्हें एक सशक्त भागीदार के रूप में स्थापित किया है।” इसके साथ ही उन्होंने प्रतिभागियों को उनके अथक प्रयास और सामाजिक परिवर्तन के प्रति समर्पण के लिए सराहना भी दी।
जब पूर्वोत्तर भारत का स्टार्टअप बना राष्ट्रीय उदाहरण
ऑवरगेस्ट ट्रैवल्स (Top View Pvt. Ltd.), जो आईआईएम कोलकाता में इनक्यूबेट हुआ और सिक्किम के गंगटोक में आधारित है, को D2C (Direct-to-Consumer) पुरस्कार से नवाज़ा गया। यह पूर्वोत्तर भारत का पहला ऑनलाइन ट्रैवल एग्रीगेटर है जो होमस्टे, फार्मस्टे, रिसॉर्ट्स और गाइडेड अनुभवों का एक विशेष संग्रह प्रस्तुत करता है। अब तक यह प्लेटफॉर्म 600 से अधिक होमस्टे और 50 गाइड्स के माध्यम से 6,000 यात्रियों की सेवा कर चुका है, जिससे न केवल ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा मिला है बल्कि इको-टूरिज्म की दिशा में भी उल्लेखनीय योगदान हुआ है।
एनगुरी ऑर्गेनिक: कृषि नवाचार का आदिवासी स्वरूप
आईआईटी गुवाहाटी में इनक्यूबेट हुआ एनगुरी ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड एक और उत्कृष्ट उदाहरण बना, जिसे एग्रीटेक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह स्टार्टअप डेटा-संचालित अनुसंधान, सटीक कृषि (Precision Farming) और ब्लॉकचेन तकनीक के ज़रिए किसानों को ऐसे उपकरण और ज्ञान प्रदान करता है, जिससे पानी की बचत, मिट्टी का संरक्षण, उत्पादन में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है। यह मॉडल पर्यावरणीय स्थिरता के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नई मिसाल है।
जनजातीय निवेश क्षमता पर विशेष सत्र
कार्यक्रम के दौरान एक उच्चस्तरीय पैनल चर्चा का आयोजन किया गया, जिसका विषय था – “भारत में निवेश: मेट्रो क्षेत्रों से परे स्टार्टअप क्षमता को अनलॉक करना”। इस चर्चा में प्रमुख नाम जैसे:
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टी. रौमुएनपाइट (संयुक्त सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय)
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विक्रम गुप्ता (IVYCap Ventures)
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संदीप नागभूषण ऐथल (Infosys)
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विनीत खुराना (SACC India)
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मॉडरेटर: अमित पांडे (IVCA)
इन सभी ने जनजातीय स्टार्टअप्स में निवेश की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त, आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसरों ने डिज़ाइन थिंकिंग पर एक वर्कशॉप आयोजित की, जिसमें स्टार्टअप्स को अपने व्यवसायिक मॉडल को बेहतर बनाने की दिशा में मार्गदर्शन मिला।
अगली पीढ़ी के आदिवासी इनोवेटर्स का निर्माण
कार्यक्रम का समापन एक भावुक और प्रेरणादायक क्षण के साथ हुआ, जब 45 स्टार्टअप फाउंडर्स, 100 ईएमआरएस (एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय) के छात्र, और 150 उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे जनजातीय छात्र स्टार्टअप इकोसिस्टम का हिस्सा बने। उन्हें भागीदारी प्रमाणपत्र प्रदान किए गए और आईआईटी दिल्ली में बूटकैंप जैसी गतिविधियों में शामिल होने का अवसर मिला।
धरतीआबाट्राइबप्रिन्योर्स 2025: एक समग्र दृष्टिकोण
जनजातीय मामलों का मंत्रालय “धरतीआबाट्राइबप्रिन्योर्स 2025” जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से आदिवासी युवाओं के लिए एक समग्र नवाचार वातावरण तैयार कर रहा है, जिसमें मेंटोरशिप, वित्तीय सहायता, स्किल डेवलपमेंट और राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म तक पहुंच शामिल है। यह पहल न केवल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह साबित करती है कि जनजातीय भारत भी टेक्नोलॉजी, नवाचार और उद्यमिता की राष्ट्रीय यात्रा में समान भागीदार है।
स्टार्टअप महाकुंभ में जनजातीय स्टार्टअप्स की भागीदारी और उन्हें मिली मान्यता इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भारत के आदिवासी समाज में जब अवसर, मार्गदर्शन और मंच मिलता है, तो वे वैश्विक नवाचार की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। यह कार्यक्रम आदिवासी भारत की संभावनाओं को उजागर करने और उन्हें राष्ट्रीय विकास के केंद्र में लाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल सिद्ध हुआ है।