वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 : एक व्यापक विवरण

🔹 पृष्ठभूमि: वक्फ संपत्तियों का इतिहास और विवाद
वक्फ संपत्तियाँ मुस्लिम समुदाय की धार्मिक, सामाजिक और शैक्षिक गतिविधियों के लिए आरक्षित होती हैं। इन संपत्तियों की देखरेख वक्फ बोर्ड के माध्यम से होती है, जो एक वैधानिक निकाय होता है। लेकिन वर्षों से वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे, धोखाधड़ी, और पारदर्शिता की कमी जैसी समस्याओं की शिकायतें आती रही हैं। इसी संदर्भ में सरकार ने वक्फ कानून में व्यापक संशोधन लाने का निर्णय लिया।
🧾 विधेयक की संसद में यात्रा: लोकसभा से राज्यसभा तक
✅ 1. लोकसभा में विधेयक पारित (मार्च 2025)
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अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को लोकसभा में प्रस्तुत किया।
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विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी, उत्तरदायी और डिजिटल बनाना है।
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कई विपक्षी दलों ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन बहुमत के बल पर इसे लोकसभा में पारित कर दिया गया।
✅ 2. राज्यसभा में विधेयक पेश और पारित (अप्रैल 2025)
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गुरुवार-शुक्रवार की रात, राज्यसभा में विधेयक पर जोरदार बहस हुई।
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विपक्ष द्वारा कई संशोधन प्रस्तावित किए गए, लेकिन सभी सदन द्वारा खारिज कर दिए गए।
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वोटिंग के नतीजे:
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पक्ष में: 128 वोट
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विपक्ष में: 95 वोट
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😄 सभापति जगदीप धनखड़ की चुटकी
जब विपक्षी सदस्य उन्हें देखकर चौंक गए कि वे खुद भी वोट कर सकते हैं, तो सभापति ने हँसते हुए कहा:
“मुझे वोट करने की दूर-दूर तक जरूरत नहीं है!”
🗣️ संसद में चर्चाएँ और टकराव
🛑 विपक्ष का विरोध और हंगामा
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कांग्रेस, RJD और अन्य विपक्षी दलों ने वक्फ विधेयक को “संविधान विरोधी” और “धार्मिक दखल” करार दिया।
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कांग्रेस के जयराम रमेश ने डॉ. सुधांशु त्रिवेदी के बयानों पर आपत्ति जताई।
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RJD के मनोज झा और कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने भी जोरदार बहस की।
🛡️ सरकार का पक्ष और अमित शाह का जवाब
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गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की आपत्तियों का करारा जवाब देते हुए कहा:
“यह कानून किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि वक्फ संपत्तियों की रक्षा और पारदर्शिता के लिए है।”
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उन्होंने साफ किया कि यह विधेयक सभी समुदायों को न्याय देने वाला है, न कि किसी को निशाना बनाने वाला।
🧑⚖️ प्रमुख प्रावधान: क्या-क्या बदल रहा है?
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✅ वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण:
हर वक्फ संपत्ति का रिकार्ड डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जाएगा। -
✅ अवैध कब्जों पर सख्ती:
फर्जी दावों और कब्जों पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान। -
✅ वक्फ काउंसिल की नई संरचना:
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22 सदस्यीय सेंट्रल वक्फ काउंसिल, जिसमें 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।
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राज्य वक्फ बोर्ड में 11 सदस्य, जिनमें 3 से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं।
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✅ धार्मिक विविधता की भागीदारी:
विवाद की स्थिति में गैर-मुस्लिम सदस्य विवाद समाधान में निष्पक्षता ला सकते हैं।
📜 अब अगला कदम: राष्ट्रपति की मंजूरी
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राज्यसभा में पारित होने के बाद विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा गया है।
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राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून बन जाएगा।
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इसके बाद केंद्र सरकार नियमों को अधिसूचित करेगी और फिर राज्यों में प्रभाव में लाया जाएगा।
🔍 राजनीतिक प्रभाव और बहस
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यह विधेयक एक ओर अल्पसंख्यक मामलों की पारदर्शिता को बढ़ाने की कोशिश माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक ध्रुवीकरण का कारण भी बना है।
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सत्तारूढ़ दल इसे “सुधारात्मक कदम” बता रहा है, जबकि विपक्ष इसे “धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप” करार दे रहा है।
📌 निष्कर्ष: एक संतुलित दृष्टिकोण
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण और बहुचर्चित कानून बनने जा रहा है। यदि इसे निष्पक्ष और ईमानदारी से लागू किया गया, तो यह वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए एक बड़ा कदम होगा। साथ ही, इसका निष्पक्ष प्रशासन सभी समुदायों के बीच विश्वास की भावना को भी बढ़ा सकता है।