भारत कुमार: देशभक्ति के स्वरूप मनोज कुमार नहीं रहे, 87 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

 भारत कुमार: देशभक्ति के स्वरूप मनोज कुमार नहीं रहे, 87 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

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भारतीय सिनेमा ने आज अपना एक स्वर्णिम अध्याय खो दिया। ‘भारत कुमार’ के नाम से प्रसिद्ध महान अभिनेता, निर्देशक और लेखक मनोज कुमार जी का निधन मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में हो गया। वे 87 वर्ष के थे। मनोज कुमार लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और बुधवार की रात उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।


🎬 एक अभिनेता नहीं, विचारधारा थे मनोज कुमार

मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को अब पाकिस्तान के झेलम जिले में हुआ था। विभाजन के समय उनका परिवार भारत आ गया और यहीं से शुरू हुआ एक स्वप्नद्रष्टा अभिनेता का सफर, जिसने पर्दे पर भारत माता के लिए जो प्रेम दिखाया, उसने करोड़ों दिलों को छुआ।

उनका मूल नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी था, लेकिन फिल्मी दुनिया में वे ‘मनोज कुमार’ के नाम से मशहूर हुए। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने यह नाम दिलीप कुमार से प्रेरित होकर चुना था।


🇮🇳 ‘भारत कुमार’ की पहचान और देशभक्ति की अलख

मनोज कुमार को ‘भारत कुमार’ का संबोधन यूँ ही नहीं मिला। उन्होंने जिन फिल्मों में अभिनय और निर्देशन किया, वो भारत की मिट्टी, संस्कृति, संघर्ष और वीरता की गूंज बन गईं

✨ उनकी कुछ अमर देशभक्ति पर आधारित फिल्में:

  • “शहीद” (1965) – भगत सिंह के जीवन पर आधारित यह फिल्म आज भी देशभक्ति का प्रतीक मानी जाती है।

  • “उपकार” (1967) – ‘जय जवान जय किसान’ के नारे को जीवंत करती इस फिल्म ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के आह्वान पर बनाया गया था।

  • “पूरब और पश्चिम” (1970) – भारतीय संस्कृति और पाश्चात्य प्रभाव के द्वंद्व को खूबसूरती से दर्शाया।

  • “क्रांति” (1981) – स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित इस फिल्म में उन्होंने दिलीप कुमार के साथ मिलकर क्रांति की ज्वाला जगाई।


🏆 पुरस्कार और सम्मान

मनोज कुमार को उनकी शानदार अभिनय और निर्देशन के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया:

  • 🎖️ पद्म श्री (1992) – भारत सरकार द्वारा चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान

  • 🏆 दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (2015) – भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान

  • 🥇 फिल्मफेयर पुरस्कार – सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और अभिनेता के लिए कई बार नामांकित और विजेता

  • 🎬 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – ‘उपकार’ के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार


✍️ नायक के पीछे विचारक भी थे

मनोज कुमार सिर्फ अभिनेता नहीं थे, वे एक दर्शक मनोविज्ञानी, कथाकार, और निर्देशक भी थे। उन्होंने फिल्मों में जिस संवेदनशीलता और दृष्टिकोण से भारतीयता, संस्कृति, ग्रामीण जीवन और नैतिक मूल्यों को प्रस्तुत किया, वह आज भी प्रेरणास्रोत है।

उनकी फिल्मों में केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक संदेश, एक संकल्प, और एक समर्पण झलकता था।


🕯️ शोक संदेश और श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा:

“मनोज कुमार जी ने सिनेमा के माध्यम से भारत माता के प्रति प्रेम को जो आवाज दी, वह अमर है। उनके योगदान को राष्ट्र कभी नहीं भूलेगा।”

अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, अजय देवगन, अक्षय कुमार सहित कई फिल्मी हस्तियों ने सोशल मीडिया पर उन्हें ‘सच्चा देशभक्त कलाकार’ करार दिया।


🌿 विरासत जो अमर रहेगी

मनोज कुमार ने अपने सिनेमा के जरिए भारतीय सिनेमा में एक आदर्श स्थापित किया, कि कैसे एक कलाकार अपने हुनर से देश की आत्मा को छू सकता है। उनकी फिल्में आने वाली पीढ़ियों के लिए राष्ट्रभक्ति और मूल्यों की पाठशाला हैं।


🙏 अलविदा भारत कुमार, आपका ‘उपकार’ कभी भुलाया नहीं जाएगा

मनोज कुमार का जाना एक युग का अंत है, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत अमर है। आज जब देश सिनेमा के माध्यम से समाज को दिशा देने की बात करता है, तो मनोज कुमार का नाम सबसे पहले याद आता है। वे केवल पर्दे पर भारत थे – भारत कुमार, बल्कि असल जिंदगी में भी उन्होंने भारतीयता की आत्मा को जिया

हम सबकी ओर से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।

“भारत माता की जय!”