भारतीय रेलवे ने लोकोमोटिव उत्पादन में रचा इतिहास, वैश्विक स्तर पर कायम की नई पहचान

भारतीय रेल ने लोकोमोटिव उत्पादन में बनाया रिकॉर्ड, अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया को पछाड़ा
नई दिल्ली: “मेक इन इंडिया” अभियान को सशक्त करते हुए भारतीय रेलवे ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में शानदार उपलब्धि हासिल की है। इस वर्ष देश में कुल 1,681 लोकोमोटिव का उत्पादन हुआ, जो अमेरिका, यूरोप, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कुल उत्पादन से भी अधिक है। यह उपलब्धि भारत को विश्व स्तरीय रेलवे इंजन निर्माण में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
रेलवे बोर्ड के प्रवक्ता ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 19% अधिक लोकोमोटिव बनाए गए हैं। वर्ष 2023-24 में जहां 1,472 लोकोमोटिव का निर्माण हुआ था, वहीं इस वर्ष यह संख्या बढ़कर 1,681 तक पहुंच गई। यह दर्शाता है कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में देश लगातार मजबूत कदम बढ़ा रहा है।
एक दशक में जबरदस्त वृद्धि
2014 से पहले, 2004-2014 के बीच देश में 4,695 लोकोमोटिव का उत्पादन हुआ था, जिसका वार्षिक औसत 469.5 था। वहीं, 2014-2024 के दौरान यह संख्या दोगुने से भी अधिक बढ़कर 9,168 तक पहुंच गई और वार्षिक औसत 917 हो गया। 2024-25 में यह आंकड़ा 1,681 तक पहुंचकर एक नया रिकॉर्ड बना चुका है।
प्रमुख लोकोमोटिव निर्माण इकाइयों का योगदान:
- चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स: 700 लोकोमोटिव
- बनारस लोकोमोटिव वर्क्स: 477 लोकोमोटिव
- पटियाला लोकोमोटिव वर्क्स: 304 लोकोमोटिव
- मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोको फैक्ट्री: 100 लोकोमोटिव
- मरहौरा डीजल लोको फैक्ट्री: 100 लोकोमोटिव
मालगाड़ियों के लिए सबसे अधिक उत्पादन
इस वर्ष बनाए गए 1,681 लोकोमोटिव में अधिकतर मालगाड़ियों के संचालन के लिए तैयार किए गए हैं। इनमें प्रमुख रूप से WAG 9/9H (1047), WAG 9 Twin (148), WAP 7 (272), WAG 12 B (100), और WDG 4G/6G (100) शामिल हैं।
वैश्विक स्तर पर भारत का बढ़ता वर्चस्व
भारतीय रेलवे की यह ऐतिहासिक उपलब्धि न केवल आत्मनिर्भर भारत की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह वैश्विक रेलवे उद्योग में भारत की मजIस्थिति को भी दर्शाता है। निरंतर नवाचार और उत्पादन क्षमता में वृद्धि से देश भविष्य में रेलवे निर्माण के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।