ईसाई धर्मगुरु के निशाने पर ट्रंप! पोल लियो ने कही ये बात…
- राष्ट्रीय विदेश
Political Trust
- December 10, 2025
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रोम। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि वह यूक्रेन को दी जा रही मदद रोक सकते हैं। इतना ही नहीं उन्होंने यूरोपीय नेताओं को कमजोर तक बता दिया था। उन्होंने कहा था कि यूरोप कमजोर हो गया है।
ईसाई धर्मगुरु पोप लियो 14वें ने मंगलवार को अमेरिका के ट्रंप प्रशासन की ओर से लंबे समय से चले आ रहे अमेरिका-यूरोपीय गठबंधन को तोड़ने की कोशिश की आलोचना की। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी के सर्वोच्च धर्मगुरु की ओर से इस तरह की खुली आलोचना अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए बड़ा झटका माना जा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय नेताओं को कमजोर होने के साथ यूक्रेन को मिलने वाले अमेरिकी समर्थन को कम करने का भी संकेत दिया था। इस मुद्दे पर पोप लियो 14वें ने अप्रत्यक्ष रूप से जोर देकर कहा कि यूक्रेन शांति समझौते में यूरोप की भूमिका होनी चाहिए।
पोप लियो का कीव दौरा यूरोपीय समर्थन जुटाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात के बाद पत्रकारों से युद्धविराम की जरूरत और रूसी अधिकारियों की ओर से पकड़े गए यूक्रेनी बच्चों की वापसी में मदद के लिए वेटिकन की कोशिशों पर चर्चा की।
ईसाई धर्मगुरु से अमेरिकी शांति प्रस्ताव और इस प्रक्रिया में यूरोपीय शक्तियों को दरकिनार किए जाने के बारे में पूछा गया। इस पर उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी समझौते में यूरोप की भूमिका महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘यूरोप को वार्ता में शामिल किए बिना शांति समझौते की कोशिश करना अवास्तविक है, क्योंकि युद्ध यूरोप में चल रहा है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘आज और भविष्य में सुरक्षा की गारंटी भी मांगी जा रही है। यूरोप को इसका हिस्सा होना चाहिए, और दुर्भाग्य से हर कोई इसे नहीं समझता, लेकिन मुझे लगता है कि यूरोपीय नेताओं के लिए एकजुट होकर हल तलाशने का यह एक बेहतरीन मौका है।’
डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय नेताओं को कमजोर होने के साथ यूक्रेन को मिलने वाले अमेरिकी समर्थन को कम करने का भी संकेत दिया था। इस मुद्दे पर पोप लियो 14वें ने अप्रत्यक्ष रूप से जोर देकर कहा कि यूक्रेन शांति समझौते में यूरोप की भूमिका होनी चाहिए।
पोप लियो का कीव दौरा यूरोपीय समर्थन जुटाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात के बाद पत्रकारों से युद्धविराम की जरूरत और रूसी अधिकारियों की ओर से पकड़े गए यूक्रेनी बच्चों की वापसी में मदद के लिए वेटिकन की कोशिशों पर चर्चा की।
ईसाई धर्मगुरु से अमेरिकी शांति प्रस्ताव और इस प्रक्रिया में यूरोपीय शक्तियों को दरकिनार किए जाने के बारे में पूछा गया। इस पर उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी समझौते में यूरोप की भूमिका महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘यूरोप को वार्ता में शामिल किए बिना शांति समझौते की कोशिश करना अवास्तविक है, क्योंकि युद्ध यूरोप में चल रहा है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘आज और भविष्य में सुरक्षा की गारंटी भी मांगी जा रही है। यूरोप को इसका हिस्सा होना चाहिए, और दुर्भाग्य से हर कोई इसे नहीं समझता, लेकिन मुझे लगता है कि यूरोपीय नेताओं के लिए एकजुट होकर हल तलाशने का यह एक बेहतरीन मौका है।’
