वाहन कंपनियों के लिए कीमतें बढ़ानी मुश्किल

 वाहन कंपनियों के लिए कीमतें बढ़ानी मुश्किल

नई दिल्ली। ऑटो निर्माताओं के लिए नए साल में कीमतों में बढ़ोतरी को जारी रखना मुश्किल हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि संभावित मुनाफाखोरी-रोधी उपायों पर सरकारी निगरानी कड़ी हो रही है। साथ ही इनपुट लागत में फिर से बढ़ोतरी शुरू हो रही है। इस साल की स्थिति जनवरी में होने वाली 1-3 प्रतिशत की बढ़ोतरी की तुलना में कहीं ज्यादा जटिल है, जो आमतौर पर उद्योग करते हैं।

22 सितंबर, 2025 को कर कटौती के बाद कई सरकारी निकाय जीएसटी के बाद के मूल्य निर्धारण व्यवहार पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। निगरानी अब मुनाफाखोरी-रोधी महानिदेशालय के अधीन है, जो उल्लंघनों की जांच करता है। 2022 में मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के समाप्त होने के बाद से प्रवर्तन ढांचा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अधीन होने के साथ कंपनियों को उम्मीद है कि जीएसटी कटौती के इरादे के अनुरूप न दिखने वाले किसी भी मूल्य निर्धारण की गहन जांच की जाएगी। इसने ऑटो कंपनियों को और भी सतर्क कर दिया है। एक प्रमुख यात्री वाहन निर्माता कंपनी के अधिकारी ने कहा, वाकई में कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, तब भी जनवरी में कीमतों में वृद्धि की बारीकी से जांच की जाएगी। इस बीच लागत का दबाव चुपचाप फिर से उभर रहा है।