प्रधानमंत्री जी-वन योजना के तहत उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं को मिला बढ़ावा, सरकार ने दी विस्तृत जानकारी

 प्रधानमंत्री जी-वन योजना के तहत उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं को मिला बढ़ावा, सरकार ने दी विस्तृत जानकारी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में अधिसूचित और 2024 में संशोधित प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन–वातावरण अनुकूल फसल अवशेष निवारण) योजना के अंतर्गत देश में उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं की स्थापना को नई रफ्तार मिली है। योजना का मुख्य उद्देश्य लिग्नोसेलुलोसिक बायोमास एवं अन्य नवीकरणीय संसाधनों से उन्नत जैव ईंधन का उत्पादन बढ़ाना, किसानों को फसल अवशेषों से अतिरिक्त आय दिलाना, ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में रोजगार सृजन, पराली दहन से होने वाले वायु प्रदूषण पर नियंत्रण और एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के लक्ष्य पूरे करना है।सरकार ने बताया कि इस योजना के तहत देश में कई महत्वपूर्ण उन्नत बायोफ्यूल परियोजनाएँ स्थापित की गई हैं। इनमें हरियाणा के पानीपत में इंडियन ऑयल का द्वितीय पीढ़ी (2G) धान के पुआल आधारित बायो-एथनॉल संयंत्र, असम के नुमालगढ़ में नुमालगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड की 2G बांस आधारित बायोरेफाइनरी और इंडियन ऑयल का 3G इथेनॉल प्लांट शामिल है, जहाँ रिफाइनरी ऑफ-गैस को फीडस्टॉक के रूप में उपयोग किया जाता है।

राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति 2022 के तहत सरकार क्षतिग्रस्त खाद्यान्न, टूटे चावल, मानव उपभोग हेतु अनुपयुक्त खाद्यान्न, अधिशेष अनाज और कृषि अवशेषों जैसे धान का भूसा, कपास डंठल, कॉर्न कॉब तथा बगास के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। साथ ही मक्का, कसावा, सड़ा आलू, गन्ना रस एवं शीरे जैसे फीडस्टॉक्स से एथनॉल उत्पादन को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। सरकार ने स्पष्ट किया कि खाद्य और चारे के लिए उपयोग होने वाली फसलों से किसी भी प्रकार का विचलन संतुलित व परामर्श आधारित होगा।

शक्कर और मक्का उत्पादन में बढ़ोतरी
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के अनुसार वर्ष 2024–25 में देश में शक्कर उत्पादन घरेलू मांग से अधिक रहा। कुल 340 लाख मीट्रिक टन शक्कर में से 34 लाख मीट्रिक टन का उपयोग एथनॉल उत्पादन के लिए किया गया, जिससे शक्कर भंडार के संतुलन और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने में मदद मिली। इसी अवधि में मक्का उत्पादन में भी लगभग 30 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

EBP कार्यक्रम के फायदे
एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम के तहत वर्ष 2014–15 से अक्टूबर 2025 तक किसानों को लगभग ₹1,36,300 करोड़ का सीधा लाभ मिला है। इसके साथ ही देश ने 1.55 लाख करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा बचाई है, जबकि करीब 790 लाख मीट्रिक टन CO₂ उत्सर्जन और 260 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल के आयात में कमी आई है।सरकार किसानों को जल-गहन फसलों जैसे धान और गन्ना से हटकर मक्का जैसी टिकाऊ फसलों की ओर प्रोत्साहित कर रही है। रोडमैप फॉर एथनॉल ब्लेंडिंग 2020–25 में उल्लेख है कि आधुनिक तकनीक से डिस्टिलरी इकाइयाँ लगभग जीरो लिक्विड डिस्चार्ज मोड में संचालित की जा सकती हैं। वहीं ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ योजना के तहत गन्ने की खेती में ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है।

वेस्ट टू एनर्जी और CBG परियोजनाएँ
सरकार ने राष्ट्रीय बायोएनेर्जी कार्यक्रम के तहत शहरी, औद्योगिक और कृषि अवशेषों से CBG/बायो-CNG परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया है। पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए जैव गैस उत्पादकों को बायोमास एग्रीगेशन मशीनरी की खरीद पर वित्तीय सहायता भी दी जा रही है।

यह जानकारी पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने लोकसभा में लिखित रूप में प्रस्तुत की।