लोग बना रहे सोशल मीडिया से दूरी, नहीं दिखते दोस्तों के पोस्ट?
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- November 30, 2025
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नई दिल्ली। दुनिया भर में सोशल मीडिया का उपयोग तेजी से घट रहा है। खासकर युवा अब ऑनलाइन पोस्ट करने से बच रहे हैं। लगातार बढ़ते विज्ञापनों, ओवर-कमर्शियलाइजेशन और AI जनरेटेड कंटेंट ने लोगों को थका दिया है।
दुनिया भले पूरी तरह ऑनलाइन नजर आती हो, लेकिन एक नई रिपोर्ट बताती है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल तेजी से कम हो रहा है। हाल ही में किए गए एक बड़े सर्वे में सामने आया है कि सोशल मीडिया यूज 10% तक गिर गया है। 50 देशों के 2.5 लाख सोशल मीडिया यूजर्स पर एक सर्वे किया गया। हैरानी की बात यह है कि यह गिरावट उन्हीं युवाओं में सबसे ज्यादा है, जिनके लिए सोशल मीडिया कभी उनकी दैनिक जिंदगी का हिस्सा था।
क्यों घटी सोशल मीडिया की लोकप्रियता?
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया का लगातार बदलता चेहरा है। जहां पहले लोगों की टाइमलाइन दोस्तों की फोटो, यात्राओं और रोजमर्रा की जिंदगी से भरी होती थी, वहीं अब यह जगह विज्ञापनों, न खत्म होने वाले रिल्स और AI-जनरेटेड कंटेंट ने ले ली है। लोगों को अब अपने जान-पहचान वालों का चेहरा कम और अजनबियों का चेहरा ज्यादा दिखाई दे रहा है। इसी बदलाव ने एक नए ट्रेंड को जन्म दिया है जिसे ‘पोस्टिग जीरो’ कहा जा रहा है।
डीपफेक और स्कैम से बढ़ा प्राइवेसी को खतरा
यह शब्द पहली बार द न्यू यॉर्कर के कॉलमनिस्ट काइल चायका ने इस्तेमाल किया था। उनके मुताबिक, लोग अब धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर अपनी निजी जिंदगी साझा करना बंद कर रहे हैं। उनका मानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की ऑथेंटिसिटी अब कम हो गई है। लोग सोशल मीडिया पर शोर-शराबे, नॉन-स्टॉप कंटेंट और प्राइवेसी के खतरे से परेशान हो चुके हैं। सर्वे के मुताबिक, पहले सोशल मीडिया का आकर्षण लोगों की निजी जिंदगी की साधारण पोस्ट थीं, वहीं अब प्राइवेसी, डीपफेक और स्कैम के डर से लोग इन्हें शेयर करने से बच रहे हैं।
AI ने खराब किया अनुभव
‘Posting Zero’ का संबंध ‘डेड इंटरनेट थियोरी’ से जोड़ा जा रहा है। जिसमें कहा जाता है कि इंटरनेट का बड़ा हिस्सा अब इंसानों की बजाय बॉट्स और AI आधारित एग्लोरिदम से भरा है। ऐसे में असली यूजर्स की उपस्थिति कम होती जा रही है।
क्यों घटी सोशल मीडिया की लोकप्रियता?
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया का लगातार बदलता चेहरा है। जहां पहले लोगों की टाइमलाइन दोस्तों की फोटो, यात्राओं और रोजमर्रा की जिंदगी से भरी होती थी, वहीं अब यह जगह विज्ञापनों, न खत्म होने वाले रिल्स और AI-जनरेटेड कंटेंट ने ले ली है। लोगों को अब अपने जान-पहचान वालों का चेहरा कम और अजनबियों का चेहरा ज्यादा दिखाई दे रहा है। इसी बदलाव ने एक नए ट्रेंड को जन्म दिया है जिसे ‘पोस्टिग जीरो’ कहा जा रहा है।
डीपफेक और स्कैम से बढ़ा प्राइवेसी को खतरा
यह शब्द पहली बार द न्यू यॉर्कर के कॉलमनिस्ट काइल चायका ने इस्तेमाल किया था। उनके मुताबिक, लोग अब धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर अपनी निजी जिंदगी साझा करना बंद कर रहे हैं। उनका मानना है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की ऑथेंटिसिटी अब कम हो गई है। लोग सोशल मीडिया पर शोर-शराबे, नॉन-स्टॉप कंटेंट और प्राइवेसी के खतरे से परेशान हो चुके हैं। सर्वे के मुताबिक, पहले सोशल मीडिया का आकर्षण लोगों की निजी जिंदगी की साधारण पोस्ट थीं, वहीं अब प्राइवेसी, डीपफेक और स्कैम के डर से लोग इन्हें शेयर करने से बच रहे हैं।
AI ने खराब किया अनुभव
‘Posting Zero’ का संबंध ‘डेड इंटरनेट थियोरी’ से जोड़ा जा रहा है। जिसमें कहा जाता है कि इंटरनेट का बड़ा हिस्सा अब इंसानों की बजाय बॉट्स और AI आधारित एग्लोरिदम से भरा है। ऐसे में असली यूजर्स की उपस्थिति कम होती जा रही है।
