संसद सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री पर टिकी केंद्रीय कर्मियों की निगाहें, ये है पूरा ‘मामला’
- दिल्ली राजनीति राष्ट्रीय
Political Trust
- November 29, 2025
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नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से प्रारंभ हो रहा है। सत्र के पहले ही दिन केंद्र सरकार के 49 लाख कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनरों की निगाहें एक ‘सवाल’ के ‘जवाब’ पर लगी हैं। यह सवाल महंगाई भत्ता/महंगाई राहत और आठवें वेतन आयोग से संबंधित है। इसका जवाब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को देना है। केंद्र सरकार के कर्मियों और पेंशनरों के हितों से जुड़ा वह सवाल समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद आनंद भदौरिया द्वारा पूछा जाएगा।
सांसद भदौरिया द्वारा पूछे जाने वाला सवाल यह है कि क्या सरकार उन सरकारी कर्मचारियों/पेंशनर्स को तुरंत राहत प्रदान करने के लिए मौजूदा डीए/डीआर को उनके मूल वेतन में विलय करने का विचार रखती है, जो पिछले 30 वर्षों से महंगाई का सामना कर रहे हैं। इन कर्मचारियों को दिया गया डीए/डीआर, वास्तविक समय खुदरा महंगाई के हिसाब से नहीं है। यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है। यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं। इनके अलावा, लोकसभा सांसद भदौरिया के सवाल में यह भी शामिल है कि क्या केंद्र सरकार ने हाल ही में आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन के लिए अधिसूचना जारी की है। यदि हां, तो इसका ब्यौरा क्या है।
पिछले दिनों भारत पेंशनभोगी समाज (बीपीएस) ने केंद्र सरकार के आठवें वेतन आयोग के लिए जारी संदर्भ की शर्तें यानी ‘टीओआर’ में लिखे कुछ शब्दों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। यह चिंता केंद्र सरकार के 65 लाख पेंशनर, जिनमें पारिवारिक पेंशनर भी शामिल हैं, को हो रही है। टीओआर में लिखा है ‘गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की अवित्तपोषित लागत’, यही वो शब्द हैं, जिसे हटाने के संबंध में भारत पेंशनभोगी समाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित, डीओपीटी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, सचिव (डीओपी एंड पीडब्ल्यू), सचिव व्यय विभाग को 17 नवंबर को पत्र लिखा है।
भारत पेंशनभोगी समाज के महासचिव अविनाश राजपूत द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि आठवें वेतन आयोग की ‘संदर्भ की शर्तों’ में पेंशन को लेकर आपत्तिजनक शब्दावली का इस्तेमाल हुआ है। पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस), एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के अंतर्गत आने वाले वर्तमान 69 लाख पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए पेंशन, समानता और अन्य पेंशन लाभों में संशोधन के बारे में मौजूदा टीओआर में स्पष्टता का अभाव है।
बीपीएस ने टीओआर में कई संशोधनों की मांग की है। इनमें पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों की संरचना को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों की जांच करना, जिसमें पेंशन में संशोधन, किसी भी तिथि को सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों (अर्थात, जो 01.01.2026 से पहले या 01.01.2026 के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं) के मामले में पेंशन में समानता शामिल है।
पिछले दिनों भारत पेंशनभोगी समाज (बीपीएस) ने केंद्र सरकार के आठवें वेतन आयोग के लिए जारी संदर्भ की शर्तें यानी ‘टीओआर’ में लिखे कुछ शब्दों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। यह चिंता केंद्र सरकार के 65 लाख पेंशनर, जिनमें पारिवारिक पेंशनर भी शामिल हैं, को हो रही है। टीओआर में लिखा है ‘गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की अवित्तपोषित लागत’, यही वो शब्द हैं, जिसे हटाने के संबंध में भारत पेंशनभोगी समाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित, डीओपीटी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, सचिव (डीओपी एंड पीडब्ल्यू), सचिव व्यय विभाग को 17 नवंबर को पत्र लिखा है।
भारत पेंशनभोगी समाज के महासचिव अविनाश राजपूत द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि आठवें वेतन आयोग की ‘संदर्भ की शर्तों’ में पेंशन को लेकर आपत्तिजनक शब्दावली का इस्तेमाल हुआ है। पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस), एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) और राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के अंतर्गत आने वाले वर्तमान 69 लाख पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए पेंशन, समानता और अन्य पेंशन लाभों में संशोधन के बारे में मौजूदा टीओआर में स्पष्टता का अभाव है।
बीपीएस ने टीओआर में कई संशोधनों की मांग की है। इनमें पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों की संरचना को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों की जांच करना, जिसमें पेंशन में संशोधन, किसी भी तिथि को सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों (अर्थात, जो 01.01.2026 से पहले या 01.01.2026 के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं) के मामले में पेंशन में समानता शामिल है।
