दूसरे चरण के मतदान में दलों के लिए दलित सबसे अहम, 18 फीसदी दलितों ने दिया साथ तो मिलेगा ताज
- बिहार राष्ट्रीय
Political Trust
- November 10, 2025
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पटना। बिहार चुनाव के दूसरे चरण के मतदान में 18 फीसदी दलितों का 100 से ज्यादा सीटों पर प्रभाव है, जो कि नतीजों को सीधा प्रभावित कर सकते हैं। अंतिम चरण के मतदान में दलित बिरादरी सबसे अहम है।
मंगलवार को मतदान
बिहार चुनाव के दूसरे चरण के तहत मंगलवार को होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार का शोर रविवार को थम गया है। इस चरण में सबकी निगाहें दलित और मुसलमान मतदाताओं पर है। जनादेश की चाबी 18 फीसदी दलित मतदाताओं के हाथ में है, जिनकी सौ सीटों पर परिणाम का पलड़ा इधर से उधर झुकाने की ताकत है। इसके अलावा इसी चरण में सीमांचल समेत तीन दर्जन सीटों पर प्रभावशाली उपस्थिति रखने वाले मुसलमान समुदाय के भविष्य की राजनीति के संकेत भी छिपे हैं।
राजग का साथ देने वाली वीआईपी महागठबंधन के साथ :
बीते चुनाव के मुकाबले इस बार की परिस्थिति थोड़ी अलग है। पिछली बार राजग का साथ देने वाली वीआईपी अब महागठबंधन के साथ है तो अपने दम पर चुनाव लडने वाले चिराग इस बार एनडीए को रौशन करने में जुटे हैं। विपक्षी महागठबंधन के इतर एआईएमआईएम के बाद जनसुराज पार्टी भी खुद को मुलसमानों का रहनुमा साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। तब कांटे की टक्कर में राजग विपक्षी महागठबंधन से 17 सीटें अधिक जीत कर हांफते-कांपते बहुमत के जादुई आंकड़े को छूने में कामयाब रहा था।
महागठबंधन पर भारी पड़ा था एनडीए
बीते चुनाव में एनडीए को महागठबंधन के मुकाबले 1.6% अधिक वोट मिले थे। हालांकि इसी बढ़त की बदौलत उसे महागठबंधन के 49 सीटों के मुकाबले 66 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। राजग को अंग प्रदेश, तिरहुत और मिथिलांचल में जबकि राजद को मगध क्षेत्र में अच्छी बढ़त हासिल हुई थी। सीमांचल में कांटे के मुकाबले और एआईएमआईएम की उपस्थिति के कारण राजग को मामूली बढ़त हासिल हुई थी।
अंतिम चरण में दलित बिरादरी अहम
इस चरण में सबसे अहम दलित बिरादरी है। कुल 18 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाली दलित बिरादरी में 13 फीसदी महादलित (इनमें 2.5 फीसदी मुसहर) और पांच फीसदी पासवान (दुसाध) बिरादरी से हैं। करीब सौ सीटें ऐसी हैं, जहां हर सीट पर इस बिरादरी के मतदाताओं की आबादी 30 से 40 हजार के बीच है। चिराग के अपने दम पर चुनाव लडने के कारण जदयू को सीधे-सीधे 22 सीटों का नुकसान हुआ था। भाजपा का मानना है कि चिराग और जीतन राम मांझी के साथ आने से पासवान और मुसहर बिरादरी के 7.5 फीसदी मत राजग के पक्ष में गोलबंद होंगे।
बिहार चुनाव के दूसरे चरण के तहत मंगलवार को होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार का शोर रविवार को थम गया है। इस चरण में सबकी निगाहें दलित और मुसलमान मतदाताओं पर है। जनादेश की चाबी 18 फीसदी दलित मतदाताओं के हाथ में है, जिनकी सौ सीटों पर परिणाम का पलड़ा इधर से उधर झुकाने की ताकत है। इसके अलावा इसी चरण में सीमांचल समेत तीन दर्जन सीटों पर प्रभावशाली उपस्थिति रखने वाले मुसलमान समुदाय के भविष्य की राजनीति के संकेत भी छिपे हैं।
राजग का साथ देने वाली वीआईपी महागठबंधन के साथ :
बीते चुनाव के मुकाबले इस बार की परिस्थिति थोड़ी अलग है। पिछली बार राजग का साथ देने वाली वीआईपी अब महागठबंधन के साथ है तो अपने दम पर चुनाव लडने वाले चिराग इस बार एनडीए को रौशन करने में जुटे हैं। विपक्षी महागठबंधन के इतर एआईएमआईएम के बाद जनसुराज पार्टी भी खुद को मुलसमानों का रहनुमा साबित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। तब कांटे की टक्कर में राजग विपक्षी महागठबंधन से 17 सीटें अधिक जीत कर हांफते-कांपते बहुमत के जादुई आंकड़े को छूने में कामयाब रहा था।
महागठबंधन पर भारी पड़ा था एनडीए
बीते चुनाव में एनडीए को महागठबंधन के मुकाबले 1.6% अधिक वोट मिले थे। हालांकि इसी बढ़त की बदौलत उसे महागठबंधन के 49 सीटों के मुकाबले 66 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। राजग को अंग प्रदेश, तिरहुत और मिथिलांचल में जबकि राजद को मगध क्षेत्र में अच्छी बढ़त हासिल हुई थी। सीमांचल में कांटे के मुकाबले और एआईएमआईएम की उपस्थिति के कारण राजग को मामूली बढ़त हासिल हुई थी।
अंतिम चरण में दलित बिरादरी अहम
इस चरण में सबसे अहम दलित बिरादरी है। कुल 18 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाली दलित बिरादरी में 13 फीसदी महादलित (इनमें 2.5 फीसदी मुसहर) और पांच फीसदी पासवान (दुसाध) बिरादरी से हैं। करीब सौ सीटें ऐसी हैं, जहां हर सीट पर इस बिरादरी के मतदाताओं की आबादी 30 से 40 हजार के बीच है। चिराग के अपने दम पर चुनाव लडने के कारण जदयू को सीधे-सीधे 22 सीटों का नुकसान हुआ था। भाजपा का मानना है कि चिराग और जीतन राम मांझी के साथ आने से पासवान और मुसहर बिरादरी के 7.5 फीसदी मत राजग के पक्ष में गोलबंद होंगे।
