27 फीसदी पहुंचा जीडीपी में योगदान, 2025 में 91 लाख करोड़ हुई बाजार पूंजी
- कारोबार दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- November 4, 2025
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नई दिल्ली। देश के बीएफएसआई क्षेत्र ने दो दशक में तेजी से विकास किया है। बाजार पूंजी 2005 के 1.8 लाख करोड़ से बढ़कर 2025 में 91 लाख करोड़ रुपये हुई। जीडीपी में योगदान 6% से 27% तक पहुंचा। बैंकिंग क्षेत्र ने भी मजबूत प्रगति दिखाई, ऋण व जमा में दो अंकीय वृद्धि, एनपीए घटकर 2.2% और कर्ज की लागत 0.4% हुई।
देश के बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र में पिछले दो दशकों में असाधारण वृद्धि देखी गई है। बीएफएसआई क्षेत्र की बाजार पूंजी 50.5 गुना बढ़कर 2025 में 91 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। 2005 में यह सिर्फ 1.8 लाख करोड़ थी। खास बात है कि यह क्षेत्र हर साल 22 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से बढ़ रहा है। बजाज फिनसर्व एएमसी की रिपोर्ट के मुताबिक, 20 वर्षों में बीएफएसआई क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 2005 के 6 फीसदी से बढ़कर 2025 में 27 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया। यह वृद्धि मजबूत वित्तीयकरण, नियामकीय सुधारों और जनसांख्यिकीय लाभांश से प्रेरित है। बीएफएसआई क्षेत्र ने दो दशकों में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है।
बैंकिंग क्षेत्र में अच्छी प्रगति, एनपीए घटा
बैंकिंग क्षेत्र ने 10 वित्त वर्षों में अच्छी गति से विकास किया है। बैंक ऋण में 10.71 फीसदी सीएजीआर व जमा में 10.25 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। बैंकों ने बुनियादी ढांचे में सुधार किया है। 2021-22 व 2024-25 के बीच कुल एनपीए 5.8 फीसदी से घटकर से 2.2 फीसदी रह गया। कर्ज की लागत 1.3 फीसदी से घटकर 0.4 फीसदी रह गई। 2025 तक बैंकों का बीएफएसआई की बाजार पूंजी में सिर्फ 57 फीसदी हिस्सा रहा, जो 2005 में 85 फीसदी था।
बैंकिंग क्षेत्र में अच्छी प्रगति, एनपीए घटा
बैंकिंग क्षेत्र ने 10 वित्त वर्षों में अच्छी गति से विकास किया है। बैंक ऋण में 10.71 फीसदी सीएजीआर व जमा में 10.25 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। बैंकों ने बुनियादी ढांचे में सुधार किया है। 2021-22 व 2024-25 के बीच कुल एनपीए 5.8 फीसदी से घटकर से 2.2 फीसदी रह गया। कर्ज की लागत 1.3 फीसदी से घटकर 0.4 फीसदी रह गई। 2025 तक बैंकों का बीएफएसआई की बाजार पूंजी में सिर्फ 57 फीसदी हिस्सा रहा, जो 2005 में 85 फीसदी था।
