किस विकल्प से मिलेगा बेहतर रिटर्न और पेंशन, एनपीएस बनाम म्यूचुअल फंड?

 किस विकल्प से मिलेगा बेहतर रिटर्न और पेंशन, एनपीएस बनाम म्यूचुअल फंड?

नई दिल्ली। रिटायरमेंट की जरूरतों में एकमुश्त बचत और नियमित आय यानी पेंशन, दोनों शामिल हैं। रिटायरमेंट की तैयारी समय रहते शुरू कर देनी चाहिए। जितनी जल्दी निवेश शुरू होता है, कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि) का लाभ उतना ज्यादा होता है। भविष्य आज की तुलना में महंगा होने वाला है, इसलिए अपने जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए पर्याप्त फंड तैयार करना जरूरी है।

रिटायरमेंट निवेश के बाजार में गरमाहट है। होड़ है सरकारी एनपीएस और म्यूचुअल फंड के बीच। बीते महीनों में दोनों विकल्पों ने नई स्कीमें और प्लान जारी किए हैं। निवेशक भी अब अपनी वित्तीय योजना में पेंशन को जगह देने लगे हैं। नियमित बचत और लंबी अवधि के निवेश के साथ रिटायरमेंट प्लानिंग का तरीका अब समझ में आने लगा है।

म्यूचुअल फंड और एनपीएस, दोनों ही रिटायरमेंट के लिए अच्छे निवेश उपकरण हैं। इनसे भविष्य के लिए सुरक्षित व स्थिर धनराशि और नियमित आय सुनिश्चित की जा सकती है। एनपीएस यानी न्यू पेंशन स्कीम की शुरुआत सरकारी कर्मचारियों के लिए हुई थी और बाद में यह सभी व्यक्तियों के लिए खोल दी गई। इसमें कई बदलाव हुए हैं, हाल में निवेशकों को बचत के लिए शत प्रतिशत इक्विटी निवेश की छूट दी गई है।

किसके लिए क्या बेहतर?

म्यूचुअल फंड – अनुशासित निवेश

नियमित आधार पर निवेश करके रिटायरमेंट के वर्षों के लिए एक अच्छी धनराशि इकट्ठा हो सकती है।

म्यूचुअल फंड से इक्विटी एक्सपोजर कंपाउंडिंग की मदद से मुद्रास्फीति को हराने में मदद मिलती है।

पेंशन के लिए किए गए निवेश का एक हिस्सा रिटायरमेंट के बाद भी निवेश में बना रह सकता है, जब तक कि इसका उपयोग नहीं हो जाता।

अपनी जोखिम क्षमता के अनुरूप निवेश पोर्टफोलियो बनाने की छूट मिलती है।

निवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए पोर्टफोलियो में बदलाव की सुविधा

निवेश लगातार जारी रखने की छूट

एनपीएस – केवल रिटायरमेंट के लिए

एनपीएस में निश्चित आयु तक नियमित आधार पर निवेश की छूट।

एनपीएस की लॉक-इन सुविधा यह सुनिश्चित करती है कि आप अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले पैसे का उपयोग न करें।

विभिन्न एसेट क्लास में निवेश विकल्प।

रिटायमेंट पर जमा धनराशि का एक हिस्सा निकाला जा सकता है।

शेष को बीमा कंपनी के माध्यम से एन्यूटी में बदलना होता है।