एसपीओ मिशन से सूरज की पहली सीध दिखेगी; आदित्य-एल1 का महत्वपूर्ण योगदान

 एसपीओ मिशन से सूरज की पहली सीध दिखेगी; आदित्य-एल1 का महत्वपूर्ण योगदान
नई दिल्ली। 2029 में लॉन्च होने वाले एसपीओ मिशन से वैज्ञानिकों को सूरज के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों की पहली सीधी तस्वीरें मिलेंगी। इसमें भारत का आदित्य-एल1 भी अहम भूमिका निभाएगा। यह मिशन अंतरिक्ष मौसम विज्ञान की दिशा बदल देगा।
वैज्ञानिक पहली बार सूरज के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों की सीधी और नजदीकी तस्वीरें लेने की तैयारी कर रहे हैं। जनवरी 2029 में प्रस्तावित सौर ध्रुवीय कक्षा वेधशाला (एसपीओ) मिशन से यह संभव होगा।
अब तक सूरज का ज्यादातर अध्ययन पृथ्वी की कक्षा से ही हुआ है, जिससे ध्रुवीय क्षेत्रों पर सीधा दृष्टिकोण नहीं मिल सका। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मिशन सूरज से जुड़े तीन सबसे बड़े रहस्यों सौर डायनामो का रहस्य, तेज सौर पवन की उत्पत्ति और अंतरिक्ष मौसम के प्रसार का हल निकालने में मदद करेगा। भारत के आदित्य-एल1 का भी इसमें योगदान होगा। सूरज के ध्रुवीय क्षेत्र अपेक्षाकृत शांत दिखाई देते हैं, लेकिन उनका महत्व बहुत बड़ा है। यहीं से निकलने वाली कोरोनल होल्स से तेज सौर हवा पूरे सौर मंडल में फैलती है और अंतरिक्ष मौसम को आकार देती है।
सूरज के हर हिस्से का अवलोकन संभव होगा
एसपीओ मिशन अकेला नहीं होगा। यह अन्य अंतरराष्ट्रीय मिशनों के साथ मिलकर सूरज की लगभग संपूर्ण तस्वीर तैयार करेगा। इनमें अमेरिका का एसडीओ, आईआरआईएस, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का सौर ऑर्बिटर, भारत का आदित्य-एल1, चीन का एएसओ-एस और आगामी एल5 मिशन शामिल हैं। इन सबकी संयुक्त क्षमताओं से पहली बार चार पाई कवरेज हासिल होगा। इसका मतलब है कि सूरज के हर हिस्से का अवलोकन संभव होगा।
अंतरिक्ष सुरक्षा और वैज्ञानिक लाभ
एसपीओ मिशन के जरिए न केवल सूर्य के रहस्यों को उजागर किया जाएगा, बल्कि पृथ्वी की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी। बेहतर पूर्वानुमान से उपग्रहों और जीपीएस सिस्टम को बचाया जा सकेगा, एयरलाइंस और पावर ग्रिड पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सकेगा, अंतरिक्ष यात्रियों और भावी अभियानों की सुरक्षा मजबूत होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिशन मानवता को सूरज को ऊपर से देखने का मौका देगा। एक ऐसी दृष्टि, जिससे सौर गतिविधियों की गहराई में छिपे रहस्य सामने आएंगे। इस मिशन को लेकर वैज्ञानिक जगत में उम्मीदें हैं कि यह आने वाले दशकों में अंतरिक्ष मौसम विज्ञान की नींव को बदल देगा।