तीन राज्यों में GST की 734 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी, 135 फर्जी कंपनियां आई पकड़ में
- कारोबार दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- September 30, 2025
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नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने बड़े पैमाने पर जीएसटी धोखाधड़ी मामले में 15.41 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं। ईडी के रांची स्थित कार्यालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत 29/09/2025 को कोलकाता और हावड़ा में 15.41 करोड़ रुपये मूल्य की 10 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। कुर्क की गई संपत्तियां बड़े पैमाने पर जीएसटी धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंडों में से एक अमित गुप्ता और उसके सहयोगियों की हैं।
ईडी ने जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई), जमशेदपुर द्वारा शिव कुमार देवड़ा, अमित गुप्ता, सुमित गुप्ता और अमित अग्रवाल उर्फ विक्की भालोटिया के नेतृत्व वाले एक आपराधिक गिरोह के खिलाफ दर्ज कई शिकायतों के आधार पर उक्त मामले की जांच शुरू की थी। ईडी की जांच से पता चला है कि आरोपी मास्टरमाइंडों ने झारखंड, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में 135 फर्जी कंपनियों का एक नेटवर्क बनाकर और उसका संचालन करके एक जटिल धोखाधड़ी को अंजाम दिया। सिंडिकेट की कार्यप्रणाली में बिना किसी वास्तविक आपूर्ति के फर्जी जीएसटी चालान जारी करना शामिल था, जिससे धोखाधड़ी से 734 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) तैयार किया गया।
इसके बाद उसे आगे बढ़ाया गया। इस फर्जी आईटीसी को फिर कमीशन के लिए विभिन्न अंतिम-उपयोगकर्ता संस्थाओं को बेच दिया गया, जिन्होंने इस अवैध क्रेडिट का इस्तेमाल अपनी वैध जीएसटी देनदारियों से बचने के लिए किया। इसके चलते सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। जांच से पता चला है कि सिंडिकेट ने इस आपराधिक गतिविधि से लगभग 67 करोड़ रुपये का कमीशन कमाया, जो अपराध की आय (पीओसी) की श्रेणी में आता है।
प्राथमिक वित्तीय प्रबंधक के रूप में कार्य कर रहे अमित गुप्ता ने कई अचल संपत्तियों को हासिल करके इस अवैध आय को वैध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जांच में डीजीजीआई द्वारा अपनी जांच शुरू करने के बाद अमित गुप्ता द्वारा इन संपत्तियों को रिश्तेदारों और सहयोगियों को हस्तांतरित करके जानबूझकर छिपाने का प्रयास भी सामने आया है।
इसके बाद उसे आगे बढ़ाया गया। इस फर्जी आईटीसी को फिर कमीशन के लिए विभिन्न अंतिम-उपयोगकर्ता संस्थाओं को बेच दिया गया, जिन्होंने इस अवैध क्रेडिट का इस्तेमाल अपनी वैध जीएसटी देनदारियों से बचने के लिए किया। इसके चलते सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। जांच से पता चला है कि सिंडिकेट ने इस आपराधिक गतिविधि से लगभग 67 करोड़ रुपये का कमीशन कमाया, जो अपराध की आय (पीओसी) की श्रेणी में आता है।
प्राथमिक वित्तीय प्रबंधक के रूप में कार्य कर रहे अमित गुप्ता ने कई अचल संपत्तियों को हासिल करके इस अवैध आय को वैध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जांच में डीजीजीआई द्वारा अपनी जांच शुरू करने के बाद अमित गुप्ता द्वारा इन संपत्तियों को रिश्तेदारों और सहयोगियों को हस्तांतरित करके जानबूझकर छिपाने का प्रयास भी सामने आया है।
