40 हजार से अधिक आईटी पेशेवरों को अमेरिकी कंपनियों ने निकाला, H-1B वीजा धारकों को नौकरी

 40 हजार से अधिक आईटी पेशेवरों को अमेरिकी कंपनियों ने निकाला, H-1B वीजा धारकों को नौकरी
वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से एच-1बी वीजा पर एक लाख डॉलर का शुल्क लगाए जाने के बीच व्हाइट हाउस ने बड़ा दावा किया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिकी कंपनियों ने 40 हजार से ज्यादा आईटी पेशेवरों को निकाल दिया और एच-1बी वीजा धारकों को नौकरी दी है।
अमेरिका में एच-1बी वीजा को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि कई अमेरिकी कंपनियों ने इस साल 40 हजार से ज्यादा अमेरिकी टेक वर्कर्स की छंटनी की और उनकी जगह विदेशी कर्मचारियों, खासकर एच-1बी वीजा धारकों को नौकरी दी। व्हाइट हाउस ने कहा कि इस कदम से अमेरिकी युवाओं का साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स (एसटीईएम) करियर की तरफ रुझान कम हो रहा है और यह अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
कंपनियों पर गंभीर आरोप
व्हाइट हाउस की तरफ से जारी फैक्ट शीट के अनुसार, एक कंपनी को 5,189 एच-1बी वीजा की मंजूरी मिली, लेकिन उसने इसी साल 16 हजार अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला। दूसरी कंपनी को 1,698 एच-1बी वीजा की मंजूरी मिली, जबकि उसने ओरेगन में 2,400 वर्कर्स को जुलाई में हटा दिया। तीसरी कंपनी ने 2022 से अब तक 27,000 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी की। जबकि उसे इसी दौरान 25,075 एच-1बी वीजा मिले।
एक और कंपनी ने फरवरी 2025 में 1,000 अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी की, जबकि उसे 1,137 एच-1बी वीजा की मंजूरी दी गई। व्हाइट हाउस ने यह भी खुलासा किया कि कई बार अमेरिकी कर्मचारियों को गोपनीय समझौते (एनडीए) के तहत अपने विदेशी रिप्लेसमेंट को ट्रेनिंग देने के लिए मजबूर किया गया।