अरुणाचल की बर्फीली पहाड़ी पर पहली बार दिखाई दी पलास बिल्ली

 अरुणाचल की बर्फीली पहाड़ी पर पहली बार दिखाई दी पलास बिल्ली
ईटानगर। देश के अरुणाचल प्रदेश में बर्फीली पहाड़ी में एक ऐतिहासिक वन्यजीव सर्वेक्षण में प्रकृति के दुर्लभ खजाने सामने आए हैं। इनमें रहस्यमयी और कम दिखाई देने वाली पल्लास बिल्ली का पहला फोटोग्राफिक प्रमाण शामिल है। राज्य वन विभाग और स्थानीय समुदायों के सहयोग से डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 4,200 मीटर से ऊपर हिम तेंदुआ, सामान्य तेंदुआ, धूमिल तेंदुआ (क्लाउडेड लेपर्ड), और धारीदार जंगली बिल्ली की उपस्थिति भी दर्ज की गई।
राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक न्यिलयांग टैम ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में पल्लास बिल्ली की खोज पूर्वी हिमालय में वन्यजीव अनुसंधान के लिए एक मील का पत्थर है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया की असम और अरुणाचल कार्यालय की निदेशक अर्चिता बरुआ भट्टाचार्य ने बताया कि डार्विन इनिशिएटिव के माध्यम से ब्रिटेन सरकार द्वारा वित्तपोषित परियोजना के तहत पश्चिम कामेंग और तवांग जिलों में 2,000 वर्ग किलोमीटर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 83 स्थानों पर कुल 136 कैमरा लगाए गए हैं।
उन्होंने बताया कि सर्वेक्षण में कई प्रजातियों के लिए अधिकतम ऊंचाई के रिकॉर्ड दर्ज किए गए हैं, जैसे कि सामान्य तेंदुआ 4,600 मीटर, धूमिल तेंदुआ 4,650 मीटर, धारीदार जंगली बिल्ली 4,326 मीटर, हिमालयन वुड आउल 4,194 मीटर, तथा ग्रे-हेडेड फ्लाइंग गिलहरी 4,506 मीटर।
पल्लास बिल्ली ठंड के प्रति अनुकूलित है और सबसे दुर्लभ बिल्लियों में से एक है, इसकी तस्वीरें भी शायद ही कभी ली जा पाती हों और इसलिए इस प्रजाति की बिल्ली पर सबसे कम अध्ययन हुआ है।