पूरी दुनिया ने देखा ब्लड मून का अदभुद नजारा, देश में दिखाई दी अलग—अलग छवियां
- दिल्ली राष्ट्रीय हमारी संस्कृति
Political Trust
- September 8, 2025
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नई दिल्ली। ब्लड मून यानी चंद्रग्रहण खगोलीय घटनाओं को वैज्ञानिक नजरिए से देखने-समझने का अभ्यास करने वाले लोगों के लिए चंद्र ग्रहण धर्म से अलग गूढ़ अर्थ रखता है। रात साल 2025 के अंतिम चंद्र ग्रहण के दौरान देशभर में ‘ब्लड मून’ देखा गया। लगभग तीन साढ़े घंटे से अधिक समय तक चांद पर धरती की छाया पड़ती रही। चंद्रग्रहण की पूरी अवधि में पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच रही और चांद पर सूर्य का प्रकाश सीधे नहीं पड़ा। देशभर से इस खगोलीय घटना की तस्वीरें सामने आई हैं। दिल्ली-एनसीआर,लखनऊ, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और चेन्नई जैसे शहरों से चांद और ‘ब्लड मून’ की अलग-अलग छवियां सामने आईं। ब्लड मून यानी रक्त जैसी लालिमा लिए चंद्रमा को दुनिया के लगभग 77 फीसदी हिस्से में देखा गया। भारत समेत ब्रिटेन, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये जैसे देशों में भी चंद्रग्रहण देखा गया। लाखों खगोल विज्ञान प्रेमियों ने चांद पर पड़ती धरती की छाया को देखा और सौरमंडल की अनोखी घटना के साक्षी बने।भारत में करीब साढ़े तीन घंटे बाद चांद धरती की छाया से मुक्त हुआ।
टेलिस्कोप और अन्य वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से देखा
थाईलैंड, चीन, हांगकांग, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में लोगों ने टेलिस्कोप और अन्य वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से चांद को कई मिनटों तक निहारते रहे। वैज्ञानिकों के मुताबिक एशिया और ऑस्ट्रेलिया से देखने वालों के लिए यह सबसे अच्छा अनुभव रहा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्र ग्रहण चंद्रमा के पेरिगी पर पहुंचने से ठीक 2.7 दिन पहले होने के कारण खास रहा। इस कारण चांद अपने सामान्य आकार से थोड़ा बड़ा दिखाई दिया। पेरिगी कक्षा की उस बिंदु को कहते हैं जहां पहुंचने के बाद चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब आ जाता है।खगोल विज्ञान के जानकारों के मुताबिक यूरोप और अफ्रीका में चंद्रोदय के समय चंद्र ग्रहण देखा गया। इस दौरान क्षितिज का अद्भुत दृश्य दिखाई दिया। फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए ये अवसर बेहद खास साबित हुआ।सूतक काल, हिन्दू धर्म में एक ऐसा समय माना जाता है जो किसी ग्रहण (चंद्र या सूर्य) से पूर्व शुरू होता है। चंद्रग्रहण के मामले में, सूतक काल ग्रहण के लगभग 9 घंटे पहले शुरू होता है।
थाईलैंड, चीन, हांगकांग, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में लोगों ने टेलिस्कोप और अन्य वैज्ञानिक उपकरणों की मदद से चांद को कई मिनटों तक निहारते रहे। वैज्ञानिकों के मुताबिक एशिया और ऑस्ट्रेलिया से देखने वालों के लिए यह सबसे अच्छा अनुभव रहा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्र ग्रहण चंद्रमा के पेरिगी पर पहुंचने से ठीक 2.7 दिन पहले होने के कारण खास रहा। इस कारण चांद अपने सामान्य आकार से थोड़ा बड़ा दिखाई दिया। पेरिगी कक्षा की उस बिंदु को कहते हैं जहां पहुंचने के बाद चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब आ जाता है।खगोल विज्ञान के जानकारों के मुताबिक यूरोप और अफ्रीका में चंद्रोदय के समय चंद्र ग्रहण देखा गया। इस दौरान क्षितिज का अद्भुत दृश्य दिखाई दिया। फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए ये अवसर बेहद खास साबित हुआ।सूतक काल, हिन्दू धर्म में एक ऐसा समय माना जाता है जो किसी ग्रहण (चंद्र या सूर्य) से पूर्व शुरू होता है। चंद्रग्रहण के मामले में, सूतक काल ग्रहण के लगभग 9 घंटे पहले शुरू होता है।