ब्लड प्रेशर चेक की नई गाइडलाइन जारी, विशेषज्ञों ने दी ये सलाह

 ब्लड प्रेशर चेक की नई गाइडलाइन जारी, विशेषज्ञों ने दी ये सलाह
नई दिल्ली। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) ने हाल में 2025 के लिए रक्तचाप संबंधी नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें वजन कम करने और जीवनशैली में बदलाव करके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने पर जोर दिया गया है।
हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) की समस्या सभी उम्र के लोगों में देखी जा रही है। डॉक्टर कहते हैं, जिस तरह से हमारी दिनचर्या और आहार में गड़बड़ी आ गई है, हाई ब्लड प्रेशर भी काफी आम हो गया है। इसकी नियमित जांच करते रहना और इसे कंट्रोल में रखने के उपायों पर ध्यान देना सभी लोगों के लिए आवश्यक है। 30 से अधिक उम्र के लोग, भले ही आपका ब्लड प्रेशर हाई न रहता हो, इसकी नियमित जांच जरूर करते रहें। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) ने हाल ही में साल 2025 के लिए रक्तचाप संबंधी नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें  वजन कम करने और जीवनशैली में बदलाव करके ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने पर जोर दिया गया है। नए दिशानिर्देशों के अनुसार अच्छी सेहत के लिए वयस्कों का रक्तचाप स्तर 130/80 mm Hg से कम होना चाहिए।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा, नियमित रूप से अपने ब्लड प्रेशर को इस दायरे में रखकर आप दिल के दौरे, स्ट्रोक, किडनी फेलियर और डिमेंशिया जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को काफी कम कर सकते हैं। अगर आपका ब्लड प्रेशर 130/80 mm Hg से अक्सर ज्यादा बना रहता है तो डॉक्टरी मदद जरूर ले लें। सामान्य से अधिक ब्लड प्रेशर की स्थिति संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए दिक्कतें बढ़ाने वाली हो सकती है।
क्या है ब्लड प्रेशर की नई गाइडलाइन?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) और अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी द्वारा जारी ब्लड प्रेशर से संबंधी नए दिशानिर्देश, गर्भावस्था के दौरान शीघ्र उपचार, शराब से दूरी बनाने जैसे बदलावों पर जोर देते हैं।गौरतलब है कि जारी किए गए नवीनतम दिशानिर्देश, लगभग एक दशक पहले (2017 के अपडेट) की गाइडलाइंस जैसे ही हैं। ब्लड प्रेशर की रीडिंग में कोई बदलाव नहीं किया गया है हालांकि विशेषज्ञों ने इस बार उन कारकों पर विशेष ध्यान दिया है जो बीपी को बढ़ाते हैं।
ब्लड प्रेशर हमारे शरीर की नलियों (धमनियों) में खून के दबाव को कहते हैं। यह दबाव ज्यादा बढ़ जाए तो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। समस्या यह है कि ज्यादातर लोगों को शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखते, इसलिए इसे “साइलेंट किलर” कहा जाता है। दुनिया भर में करोड़ों लोग इससे पीड़ित हैं और भारत में भी इसके मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। अच्छी खबर यह है कि इसे समय पर पहचान कर और सही तरीके से कंट्रोल करके बड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।