सब्जियों के भाव कम होने से खाने की थाली हुई 14 प्रतिशत सस्ती

 सब्जियों के भाव कम होने से खाने की थाली हुई 14 प्रतिशत सस्ती
नई दिल्ली। सालाना के आधार पर टमाटर, प्याज और आलू के दाम कम हुए हैं। लेकिन मासिक आधार पर इनके दाम तेजी से बढ़े हैं। जुलाई में कुछ शहरों में टमाटर 100 रुपये किलो पहुंच गया। प्याज का भाव 50 रुपये के करीब है। टमाटर की कीमतें सालाना आधार पर 36% गिरकर जुलाई में 66 रुपये प्रति किलोग्राम से 42 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं।
टमाटर, प्याज और आलू की कीमतें घटने से जुलाई में घर में पकने वाली शाकाहारी थाली सालाना आधार पर 14 फीसदी सस्ती होकर 28.1 रुपये पर आ गई। जुलाई, 2024 में यह 32.6 रुपये थी। हालांकि, मासिक आधार पर जून के 27.1 रुपये की तुलना में कीमत 4 फीसदी बढ़ी है। क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, चिकन सस्ता होने से सालाना आधार पर मांसाहारी थाली 61.4 रुपये से 13% घटकर 53.5 रुपये पर आ गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सालाना आधार पर भले टमाटर, प्याज और आलू के दाम घटे हैं, लेकिन मासिक आधार पर इनके दाम तेजी से बढ़े हैं। उदाहरण के तौर पर जुलाई में कुछ शहरों में टमाटर 100 रुपये किलो पहुंच गया। प्याज का भाव 50 रुपये के करीब है। टमाटर की कीमतें सालाना आधार पर 36% गिरकर जुलाई में 66 रुपये प्रति किलोग्राम से 42 रुपये प्रति किलोग्राम हो गईं।
आलू और प्याज की कीमतों में पिछले साल की तुलना में क्रमशः 30% और 36% की गिरावट आई है। पिछले साल की समान अवधि में आलू का उत्पादन झुलसा रोग और मौसम परिवर्तन के कारण 5-7% कम हुआ था, जिसके कारण कीमतों में वृद्धि हुई थी। वार्षिक उत्पादन में 18-20% की वृद्धि से 2025 में प्याज की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है।
वनस्पति तेल 20 फीसदी महंगा
कच्चे खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) में कमी के बावजूद, वनस्पति तेल की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 20% की वृद्धि हुई है क्योंकि कम बीसीडी का लाभ अभी तक पूरी तरह से ग्राहकों तक नहीं पहुंचा है। इसके अतिरिक्त, तरलीकृत पेट्रोलियम गैस सिलेंडर की कीमतों में पिछले साल की तुलना में 6% की वृद्धि ने थाली की कुल लागत में गिरावट को सीमित कर दिया है।
मांसाहारी थाली की कीमत में गिरावट सब्जियों जैसे प्याज और टमाटर की कम कीमतों के कारण हुई। ब्रॉयलर की कीमतों में 12% की वार्षिक गिरावट आई। मांसाहारी थाली की कुल लागत में चिकन का योगदान 50 फीसदी है। चिकन की कीमतों में अनुमानित 9% मासिक गिरावट ने मांसाहारी थाली की लागत में कमी में योगदान दिया। मानसून के दौरान कम मांग और श्रावण मास की शुरुआत के कारण ब्रॉयलर की कीमतों में गिरावट आई है।