आज संसद कार्यवाही का 13 दिन, मानसून सत्र अब तक काफी हंगामेदार

 आज संसद कार्यवाही का 13 दिन, मानसून सत्र अब तक काफी हंगामेदार

नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र अभी तक काफी हंगामेदार रहा है। पहलगाम आतंकी हमले और इसके बाद भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की अवधि को छोड़ दिया जाए तो बीते 12 दिनों में संसदीय कार्यवाही का अधिकांश हिस्सा लोकसभा और राज्यसभा में शोरशराबे और विपक्षी दलों के उग्र प्रदर्शन के कारण बाधित हुआ। आज 13वें दिन की कार्यवाही से पहले आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने शिक्षा और परीक्षा के मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया है। उन्होंने एसएससी फेज 13 परीक्षा में कथित अनियमितताओं और उसके कारण छात्रों पर होने वाले प्रभावों पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत राज्यसभा में नोटिस दिया है।

लोकसभा और राज्यसभा में किन मुद्दों पर हंगामा हो रहा है
दरअसल, संसद के दोनों सदनों में जबरदस्त हंगामा जारी रहने के आसार हैं। बिहार में चुनाव आयोग की तरफ से कराए जा रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के अलावा अब सांसद कर्मचारी चयन आयोग फेज 13 की परीक्षा में हुई गड़बड़ी के मुद्दे पर भी अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। राज्यसभा के वेल में सीआईएसएफ कर्मियों के कथित प्रवेश का मुद्दा भी गरमाया हुआ है। लोकसभा और राज्यसभा में जारी हंगामे के बीच सरकार अब विधायी कार्यों को प्राथमिकता दे रही है। बिल पारित कराने के प्रयासों के तहत सरकार कथित तौर पर गतिरोध खत्म करने के प्रयास भी कर रही है।
दोनों सदनों में चुनाव आयोग से जुड़े मसलों पर चर्चा की मांग
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने बिहार में चुनाव आयोग के मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा की मांग की है। उन्होंने लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इसके अलावा राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने “चुनावी प्रक्रियाओं को निष्पक्ष” बनाए रखने से जुड़ी चिंताओं पर चर्चा करने के लिए नियम 267 के तहत कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है।
कांग्रेस सांसद ने भी कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया
लोकसभा में कांग्रेस सांसद हिबी ईडन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक न्यायाधीश की नियुक्ति पर चर्चा की मांग की है। उन्होंने इसके लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया है। मुद्दे का उल्लेख करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा, न्यायाधीश पहले एक प्रमुख राजनीतिक दल के प्रवक्ता के रूप में काम कर चुके हैं।उन्होंने न्यायाधीश की निष्पक्षता और स्वतंत्रता के बारे में चिंता का इजहार करते हुए अहम मुद्दे पर चर्चा की मांग की है।