मानव जीवन को नया आयाम देगा शुभांशु शुक्ला का मिशन एक्सिओम
- दिल्ली राष्ट्रीय
Political Trust
- July 16, 2025
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नई दिल्ली। शुभांशु शुक्ला का मिशन एक्सिओम मानव जीवन को नया आयाम देगा। अंतरिक्ष में मानव शरीर की प्रतिक्रियाएं, कोशिकाओं की जैविक क्रिया और स्वचालित स्वास्थ्य निगरानी जैसे क्षेत्रों से जुड़े प्रयोग किए गए थे। ये प्रयोग भविष्य में चंद्रमा, मंगल और लंबे स्पेस अभियानों के लिए नींव तैयार कर सकते हैं। नासा के अनुसार, अंतरिक्ष में मानव शरीर की प्रतिक्रियाएं, कोशिकाओं की जैविक क्रिया और स्वचालित स्वास्थ्य निगरानी जैसे क्षेत्रों से जुड़े प्रयोग किए गए थे। ये प्रयोग भविष्य में चंद्रमा, मंगल और लंबे स्पेस अभियानों के लिए नींव तैयार कर सकते हैं। इन प्रमुख प्रयोगों में शुभांशु की अग्रणी भूमिका रही।
कैंसर के इलाज में मिलेगा लाभ देगा स्टेम सेल विभेदन
स्टेम सेल डिफरेंशिएशन इन माइक्रो ग्रेविटी प्रयोग के अंतर्गत शुभांशु ने अंतरिक्ष में मानव स्टेम सेल को विशिष्ट ऊतकों जैसे हृदय और मस्तिष्क कोशिकाओं में बदलने की प्रक्रिया का अध्ययन किया। माइक्रो ग्रेविटी में जैविक विभेदन की इस क्षमता का उपयोग भविष्य में कैंसर और न्यूरो संबंधी रोगों के इलाज में हो सकता है। शुभांशु ने बताया था कि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होने से मांसपेशियों का क्षरण होता है। हमारा प्रयोग है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर इसे रोका जा सकता है। इसका फायदा पृथ्वी पर रहने वाले उन लोगों को भी होगा, जिनमें उम्र बढ़ने की वजह से मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं।
प्रोटीन क्रिस्टलाइजेशन औषधि अनुसंधान के लिए
आईएसएस पर विशुद्ध प्रोटीन अणुओं को क्रिस्टल के रूप में जमाकर यह परीक्षण किया गया कि उनकी संरचना अंतरिक्ष में कैसे अधिक स्थिर होती है। यह दवाओं के विकास व सटीक फार्मास्युटिकल डिजाइन के क्षेत्र में बड़ी छलांग माना जा रहा है।
अंतरिक्ष भारतीय माइक्रोबायोम के लिए अनुकूलन
यह विशेष रूप से भारत प्रायोजित प्रयोग था जिसमें भारतीय मूल के आंतों के जीवाणु (माइक्रोबायोम) को माइक्रो ग्रैविटी में रखकर यह देखा गया कि उनकी प्रतिरक्षा क्षमता और संरचना पर क्या असर होता है
एआई आधारित स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली
मिशन के दौरान शुभांशु ने एक ऑटोमेटेड मेडिकल स्कैनिंग सिस्टम का प्रयोग किया जो धड़कन, तापमान, और रक्तचाप जैसे संकेतों को रियल टाइम में रिकॉर्ड करता था। यह अंतरिक्ष में डॉक्टर की अनुपस्थिति में स्वास्थ्य प्रबंधन की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
स्टेम सेल डिफरेंशिएशन इन माइक्रो ग्रेविटी प्रयोग के अंतर्गत शुभांशु ने अंतरिक्ष में मानव स्टेम सेल को विशिष्ट ऊतकों जैसे हृदय और मस्तिष्क कोशिकाओं में बदलने की प्रक्रिया का अध्ययन किया। माइक्रो ग्रेविटी में जैविक विभेदन की इस क्षमता का उपयोग भविष्य में कैंसर और न्यूरो संबंधी रोगों के इलाज में हो सकता है। शुभांशु ने बताया था कि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होने से मांसपेशियों का क्षरण होता है। हमारा प्रयोग है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर इसे रोका जा सकता है। इसका फायदा पृथ्वी पर रहने वाले उन लोगों को भी होगा, जिनमें उम्र बढ़ने की वजह से मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं।
प्रोटीन क्रिस्टलाइजेशन औषधि अनुसंधान के लिए
आईएसएस पर विशुद्ध प्रोटीन अणुओं को क्रिस्टल के रूप में जमाकर यह परीक्षण किया गया कि उनकी संरचना अंतरिक्ष में कैसे अधिक स्थिर होती है। यह दवाओं के विकास व सटीक फार्मास्युटिकल डिजाइन के क्षेत्र में बड़ी छलांग माना जा रहा है।
अंतरिक्ष भारतीय माइक्रोबायोम के लिए अनुकूलन
यह विशेष रूप से भारत प्रायोजित प्रयोग था जिसमें भारतीय मूल के आंतों के जीवाणु (माइक्रोबायोम) को माइक्रो ग्रैविटी में रखकर यह देखा गया कि उनकी प्रतिरक्षा क्षमता और संरचना पर क्या असर होता है
एआई आधारित स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली
मिशन के दौरान शुभांशु ने एक ऑटोमेटेड मेडिकल स्कैनिंग सिस्टम का प्रयोग किया जो धड़कन, तापमान, और रक्तचाप जैसे संकेतों को रियल टाइम में रिकॉर्ड करता था। यह अंतरिक्ष में डॉक्टर की अनुपस्थिति में स्वास्थ्य प्रबंधन की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
