डिजिटल टैक्नालाजी ने बदली देश की टैक्स प्रणाली

 डिजिटल टैक्नालाजी ने बदली देश की टैक्स प्रणाली
 रिफंड में 400 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी; सिर्फ 17 दिन में मिल रहा पैसा
नई दिल्ली। टैक्स प्रणाली को डिजिटल टैकनालॉजी ने ज्यादा पारदर्शी और तेज बना दिया है। जिससे करदाताओं को रिफंड पहले से कहीं जल्दी और ज्यादा मिल रहा है। पिछले दस वर्षों में कर वापसी (रिफंड) में 474% की वृद्धि हुई है, जबकि औसतन रिफंड जारी होने का समय 93 दिन से घटकर सिर्फ 17 दिन रह गया है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
डिजिटल तकनीक ने भारत की कर प्रणाली को पूरी तरह बदल दिया है, जिससे कर वापसी (रिफंड) में 474 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पिछले दस वर्षों में भारत की कर प्रणाली में बड़ा बदलाव आया है। कर वापसी की रफ्तार कर संग्रह से करीब दोगुनी तेजी से बढ़ी है।
सूत्रों ने बताया कि 2013-14 से 2024-25 के बीच करदाताओं को रिफंड मिला है, उसमें 474 फीसदी की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। यह राशि 83,008 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,76,743 करोड़ रुपये हो गई है।
इसी अवधि में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह में 24 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो 7,21,604 करोड़ रुपये से बढ़कर 27,02,974 करोड़ रुपये हो गई है। सबसे खास बात यह है कि कर वापसी की प्रक्रिया की गति में भी काफी सुधार हुआ है। 2013 में कर वापसी मिलने में औसतन 93 दिन लगते थे, जो 2024 में घटकर केवल 17 दिन रह गए हैं। यह 81 फीसदी की कमी को दर्शाता है, जो डिजिटल आधुनिकीकरण की सफलता का प्रमाण है।
इस बदलाव के पीछे कर प्रक्रियाओं का पूरी तरह से डिजिटल होना है। ऑनलाइन फाइलिंग प्रणाली, बिना मुलाकात के असेसमेंट और स्वचालित कर वापसी की प्रक्रिया ने उन पुरानी अड़चनों को खत्म कर दिया है, जो पहले करदाताओं को सेवाओं में देरी का कारण बनती थीं।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,  प्री-फिल्ड रिटर्न, रियल-टाइम टीडीएस समायोजन और ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली जैसी डिजिटल तकनीक ने करदाताओं को सेवाएं देने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है।